मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार को सुबह तड़के उज्जैन बाबा महाकाल के दरबार में भक्तों को बाबा के दिव्य दर्शन देखने को मिले। बुधवार सुबह भस्म आरती के दौरान श्रद्धालु बाबा की एक झलक पाने के लिए बेकरार थे। वे रात से ही लंबी कतारों में लगे थे, लेकिन हर कोई बाबा की झलक का इंतजार कर रहा था।
वहीं, सुबह 4 बजे से ही भक्तों को दर्शन देने के लिए बाबा महाकाल के कपट खुले। इस बार का बाबा का शृंगार कुछ खास था क्योंकि इस बार शृंगार के दौरान उनके मस्तक पर चमकता त्रिपुंड, बीच में त्रिनेत्र और पूरा शरीर पवित्र भांग से सजा हुआ था, जिसे देख लग रहा था कि जैसे स्वयं भोलेनाथ आ गए हों। उनकी आंखों में चमक देखने को मिल रही थी।
इसके बाद पूरे मंदिर परिसर में ‘जय श्री महाकाल’, ‘हर हर महादेव’ और ‘बम बम भोले’ के जयकारे गूंज रहे थे। इस वातावरण से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो गया। बाबा की भस्म आरती के बाद भी भक्तों के दर्शन का सिलसिला जारी रहा।
उज्जैन महाकाल मंदिर में पूरे दिन 6 बार आरती होती है, जिसमें भस्म आरती सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। वहीं इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं और ब्रह्म मुहूर्त में बाबा की आरती का आनंद उठाते हैं।
बाबा महाकाल पर चढ़ाई जाने वाली कपिला गया के गोबर से बने कंडे और पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर के पेड़ की लकड़ियों को जलाकर तैयार की जाने वाली भस्म को एक सूती कपड़े में बांधा जाता है और उसे शिवलिंग पर बिखेरा जाता है। मान्यता है कि महाकाल के दर्शन करने के बाद जूना महाकाल के दर्शन जरूर करने चाहिए।
भस्म आरती करीब दो घंटे तक की जाती है। इस दौरान वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। साथ ही, आरती के दौरान ही महाकाल का शृंगार भी किया जाता है।


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