नई दिल्ली, 11 जुलाई। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून पारित होने पर दिल्ली में म्येरू पहाड़ फाउंडेशन द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा कि नागरिक संहिता कानून लागू होने से हलाला जैसी कुप्रथाओं का अंत होगा और महिलाओं को अपना अधिकार मिल पाएगा। सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होगा और विभिन्न समुदायों के बीच जो खाई है, उसे ये कानून कम करेगा। लिव इन रिलेशन को लेकर हमने कुछ बड़े प्रावधान किए है।
उन्होंने कहा कि लिव इन रिलेशन में रजिस्ट्रेशन कराने के पीछे का मकसद यह है कि इसके बारे में उनके माता-पिता को भी जानकारी हो। हमने लिव इन रिलेशन में रहने वाले बेटे-बेटियों को सुरक्षा देने का काम किया। हमने एक निश्चित आयु वर्ग को लोगों को लिव इन रिलेशन में रहने को लेकर प्रावधान बनाए।
उत्तराखंड में जो जोड़े लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं, उन्हें राज्य की समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत अपने रिश्ते को मान्यता दिलाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराने का प्रावधान किया गया है। यूसीसी के तहत उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों को अपने स्थानीय रजिस्ट्रार के पास रिलेशनशिप स्टेटमेंट जमा करना अनिवार्य है, चाहे वे कहीं भी रहते हों।
इसी तरह राज्य के बाहर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग अपने संबंधित क्षेत्र के रजिस्ट्रार के पास पंजीकरण कराने का विकल्प चुन सकते हैं। विधेयक में कहा गया है कि लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे दम्पति के वैध बच्चे माने जाएंगे।
इसमें यह भी कहा गया है कि यदि कोई भी साथी 21 वर्ष से कम आयु का है, तो रजिस्ट्रार को उसके माता-पिता या अभिभावक को लिव-इन संबंध के पंजीकरण या समाप्ति के बारे में सूचित करना होगा।
हालांकि, विवाहित व्यक्तियों, अन्य लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले व्यक्तियों, नाबालिगों या जबरन, मजबूरी या धोखाधड़ी से सहमति के तहत स्थापित रिश्तों में रहने वाले लोगों के लिए पंजीकरण निषेद्ध है।
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