कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (केआरआईबीएचसीओ) बुधवार को हरियाणा के पंचकूला में “सहयोग के माध्यम से समृद्धि-सतत कृषि में सहकारी समितियों की भूमिका” विषय पर एक राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन का आयोजन करेगा।
इसमें सतत कृषि को बढ़ावा देने, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) की भूमिका का विस्तार करने, छोटे और सीमांत किसानों की आय स्थिरता सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों के अनुरूप सहकारी-आधारित कृषि मॉडल को मजबूत करने के लिए नीति और कार्यान्वयन से संबंधित पहलुओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि होंगे। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “सहयोग के माध्यम से समृद्धि” की दूरदर्शी अवधारणा को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी विशेष अतिथि के रूप में सम्मेलन में भाग लेंगे। इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री शाह भिवानी के सलेमपुर प्लांट में मिल्क कूलिंग सेंटर और रेवाड़ी के जटुसाना में हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन संघ लिमिटेड (हैफेड) आटा मिल का ई-उद्घाटन करेंगे।
केंद्रीय मंत्री हरियाणा के सहकारी बैंकों के लाभार्थियों को रुपे प्लैटिनम डेबिट कार्ड भी वितरित करेंगे और इस अवसर पर हरियाणा कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा स्थापित ए-पीएसीएस के अध्यक्षों को पंजीकरण प्रमाण पत्र भी वितरित करेंगे। वह अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के दौरान की जा रही विभिन्न गतिविधियों को प्रदर्शित करने वाले एक पोर्टल का भी उद्घाटन करेंगे।
यह सम्मेलन सहकारी ढांचे के माध्यम से किसानों को उन्नत कृषि ज्ञान के आदान-प्रदान, किफायती ऋण की उपलब्धता, आधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने और जैविक और जलवायु कृषि पद्धतियों को प्रदान करने पर विशेष जोर देगा।
इस सम्मेलन में इस बात पर खास जोर दिया जाएगा कि कैसे सहकारी समितियों के जरिए किसानों तक खेती की नई जानकारी, सस्ता कर्ज और आधुनिक तकनीक पहुंचाई जाए। साथ ही, उन्हें जैविक खेती और बदलते मौसम के हिसाब से सुरक्षित खेती करने के तरीके सिखाने पर भी ध्यान दिया जाएगा।
कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड ने पिछले कुछ वर्षों में उर्वरक आपूर्ति, कृषि सलाहकार सेवाओं और किसान-केंद्रित पहलों के माध्यम से देश भर के लाखों किसानों को लाभ पहुंचाया है। पंचकूला में आयोजित होने वाला यह राष्ट्रीय सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष- 2025 के तहत सहकारी आंदोलन को एक नई दिशा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।


Leave feedback about this