लखनऊ, उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को बड़े पैमाने पर आईएएस अफसरों के तबादले हुए थे। वाराणसी के जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा को प्रयागराज का कमिश्नर नियुक्त किया गया। उनकी जगह एस.राजलिंगम वाराणसी के नए जिलाधिकारी बनाए गए थे, लेकिन योगी सरकार ने देर रात फैसला लिया कि कौशल राज शर्मा वाराणसी के जिलाधिकारी बने रहेंगे। यूपी सरकार ने 24 घंटे के अंदर अपना फैसला बदलते हुए एक बार फिर आईएएस कौशलराज शर्मा को वाराणसी के डीएम पद की जिम्मेदारी दी है।
शासन ने 3 आईएएस अफसरों के तबादले कर दिए हैं। वहीं गुरुवार देर रात किए गए तबादलों में से 2 आईएएस अफसरों के ट्रांसफर निरस्त कर दिए हैं। वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा का आयुक्त प्रयागराज मंडल के पद पर किया गया तबादला रद कर दिया गया है। वह वाराणसी के डीएम बने रहेंगे। वाराणसी के डीएम के पद पर स्थानांतरित किए गए एस राजलिंगम का तबादला भी निरस्त कर दिया गया है। वह डीएम कुशीनगर बने रहेंगे।
आयुक्त आजमगढ़ मंडल विजय विश्वास पंत को अब आयुक्त प्रयागराज मंडल बनाया गया है। निदेशक उद्योग मनीष चौहान उनके स्थान पर आयुक्त आजमगढ़ मंडल की जिम्मेदारी संभालेंगे। रवींद्र कुमार-प्रथम जो डीएम उन्नाव से डीएम कुशीनगर बनाए गए थे, उन्हें अब विशेष सचिव खाद्य एवं रसद के पद पर तैनाती दी गई है।
पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 57वें जिलाधिकारी के रूप में कौशलराज शर्मा ने नवंबर 2019 में को कार्यभार ग्रहण किया था। तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने ऐसे कई कार्य किए जिन्हें वाराणसी में लंबे वक्त तक याद रखा जाएगा। जिलाधिकारी के रूप में लोकसभा चुनाव में काम काज और पीएम स्वनिधि योजना के क्रियान्वयन में उन्हें सम्मान भी मिला।
वर्ष 2006 बैच के आईएएस अफसर कौशलराज ने जब वाराणसी के जिलाधिकारी का कार्यभार संभाला तो कुछ ही महीनों बाद कोरोना महामारी का सामना करना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के जिले के जिलाधिकारी के रूप में कौशल पर बड़ी जिम्मेदारी रही। महामारी से उबरने के बाद प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरीडोर को पूरा कराने की जिम्मेदारी भी उन पर रही। बनारस की गलियों में अधिग्रहण और इतना बड़ा प्रोजेक्ट पूरा कराना किसी चुनौती से कम नहीं था।
मूल रूप से हरियाणा के भिवानी जिले के रहने वाले कौशलराज शर्मा ने 2006 में आईएएस की परीक्षा पास की और यूपी कैडर में शामिल हुए। उन्होंने वाराणसी के जिलाधिकारी के रूप में नवंबर, 2019 में कार्यभार संभाला था और उसके ठीक बाद ही नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन के लागू होने से शहर में सांप्रदायिक सौहार्द के बिगड़ने का खतरा था। इसके अलावा लोकसभा, विधानसभा, विधान परिषद और पंचायत के चुनाव को भी कुशलता के साथ निपटाया।