लखनऊ, 29 दिसंबर । सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी द्वारा परिकल्पित और गृह मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) प्लेटफॉर्म पर उत्तर प्रदेश लगातार तीसरे साल सर्वाधिक इंट्री दर्ज करने वाला राज्य रहा।
आईसीजेएस प्लेटफॉर्म के जरिए देशभर में आपराधिक न्याय प्रणाली के विभिन्न स्तंभों के बीच डेटा और सूचना का निर्बाध हस्तांतरण होता है। इनमें अदालतें, पुलिस, जेल और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के बीच सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए अपराध और अपराधियों से जुड़े डेटा का आदान-प्रदान होता है।
एडीजी (अभियोजन) दीपेश जुनेजा ने बताया कि आईसीजेएस प्लेटफॉर्म पर उत्तर प्रदेश के अभियोजन विभाग द्वारा अब तक 1,56,22,514 प्रविष्टियां दर्ज कराई जा चुकी हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश द्वारा 35,04,828 और तीसरे स्थान पर बिहार द्वारा 16,65,107 प्रविष्टियां दर्ज कराई गई हैं।
आईसीजेएस के जरिए अपराध और आपराधिक डेटा जैसे एफआईआर, केस नंबर, जेल आईडी, संदिग्धों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से लेकर दोषियों के कारावास तक के रिकॉर्ड रखे जाते हैं। साथ ही अदालती मामलों के विवरण, परीक्षण, निर्णय, अभियोजन और फोरेंसिक जानकारी भी एक ही प्लेटफॉर्म के जरिए अदालतें, पुलिस, जेल और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं द्वारा एक्सेस की जा सकती है। समय-समय पर आवश्यक आपराधिक न्याय से संबंधित जांच, खोज, केस हिस्ट्री, केस पेंडेंसी, अपराधी की वर्तमान स्थिति जैसी जानकारियां भी आईसीजेएस पर मौजूद रहती हैं।
पुलिस विभाग को इन सूचनाओं के आधार पर अपराधों के पूर्वानुमान के लिए डेटा एनालिटिक्स और भविष्य में अपराध नियंत्रण के प्रभावी प्रबंधन में मदद मिलती है। इसके अलावा आईसीजेएस पर अपराध और अपराधियों से संबंधित फोटोग्राफ्स, वीडियोग्राफ, दस्तावेजी सबूत के साथ ही कोर्ट केस डेटा, अदालती कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग भी सुरक्षित रखे जाते हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालती कार्यवाही को सक्षम बनाने में भी इससे मदद मिलती है।