वाशिंगटन, अमेरिका ने सप्ताहांत में अफगानिस्तान में ड्रोन हमले में अल-कायदा के शीर्ष नेता अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया, जिससे आतंकवादी संगठन को बड़ा झटका लगा।
अल-जवाहिरी ने 2001 में अमेरिका पर 11 सितंबर के हमलों की देखरेख की थी, जिसमें 2,977 लोग मारे गए थे – ओसामा बिन-लादेन के साथ, जिसे 2011 में अमेरिका ने पाकिस्तान में मार दिया था।
अल-जवाहिरी, जन्म से मिस्री है। उसने चिकित्सक बनने के लिए प्रशिक्षण लिया था। उसके बारे में सूचना देने के लिए 2.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम था। अमेरिका ने उसे 1998 में केन्या और तंजानिया में अपने दूतावासों और 2000 में अपने नौसैनिक जहाज यूएसएस कोल पर बमबारी के लिए भी जिम्मेदार ठहराया।
उसका भारत को डराने-धमकाने का भी एक लंबा इतिहास रहा है। पिछले अप्रैल में उसने एक भारतीय छात्र की प्रशंसा की थी, जो मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनने से रोकने के प्रयासों के खिलाफ खड़ा हुआ था। उसने कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने को मुसलमानों के लिए ‘स्लैम’ कहा था।
अल-जवाहिरी को सीआईए द्वारा संचालित ड्रोन से दो हेलफायर मिसाइलों द्वारा मार दिया गया था, जब वह काबुल में एक घर की बालकनी पर था, जहां वह अपने परिवार के साथ रह रहा था। पत्रकारों को जानकारी देने वाले अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, हमले में उनके परिवार का कोई सदस्य या अन्य नागरिक घायल या मारे नहीं गए।
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्र और शायद दुनिया के नाम एक संबोधन में कहा कि अमेरिकी खुफिया ने वर्ष की शुरुआत में कायदा नेता को अफगानिस्तान में ट्रैक किया था और उन्होंने एक सप्ताह पहले 25 जुलाई को अल-जवाहिरी को मारने के लिए ऑपरेशन को आगे बढ़ाया था।
अल-जवाहिरी का सबसे शानदार ऑपरेशन अमेरिका के खिलाफ था, लेकिन उसके निशाने पर भारत भी था। अप्रैल में वह एक भारतीय मुस्लिम छात्रा मुस्कान खान के समर्थन में सामने आया था, जो शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने से रोकने की कोशिश करने वालों के खिलाफ खड़ी हुई थी।
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