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उत्तराखंड हिमस्खलन : सीएम धामी ने किया आपदा नियंत्रण कक्ष का दौरा

Uttarakhand Avalanche: CM Dhami visits disaster control room

उत्तराखंड में आए हिमस्खलन की वजह से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 52 श्रमिकों के फंसने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार शाम आपदा नियंत्रण कक्ष का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को बचाव कार्य तेजी से करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री धामी लगातार राहत और बचाव कार्यों पर नजर बनाए हुए हैं और यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि सभी प्रभावित लोगों को सुरक्षित निकाला जाए और हर संभव मदद दी जाए। उन्होंने कहा कि सभी एजेंसियां युद्धस्तर पर काम कर रही हैं ताकि फंसे हुए मजदूरों को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।

उन्होंने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और सेना से भी मिलकर तेजी से बर्फ हटाने की अपील की।

मुख्यमंत्री धामी ने जोशीमठ में अस्थायी नियंत्रण कक्ष स्थापित करने की घोषणा की, जिससे बचाव कार्यों की बेहतर निगरानी की जा सके। उन्होंने रिपोर्टर्स से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), गृह मंत्रालय (एचएमओ) और रक्षा मंत्रालय (आरएमओ) लगातार हालात की जानकारी ले रहे हैं। भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर भी तैयार हैं और मौसम साफ होते ही उन्हें बचाव कार्य में लगाया जाएगा। कुछ बचाव दल सड़क के रास्ते भी भेजे गए हैं।

इसके अलावा, सरकार ने उन मजदूरों के परिवारों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की है जो विभिन्न राज्यों से आए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “हम बस यही प्रार्थना कर रहे हैं कि सभी लोग सुरक्षित बाहर आ जाएं।”

उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि अब तक 33 मजदूरों को बचा लिया गया है, जबकि 22 मजदूर अभी भी लापता हैं। खराब मौसम की वजह से बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं।

पहले खबर आई थी कि 57 मजदूर फंसे हैं, लेकिन बाद में साफ हुआ कि इनमें से 2 मजदूर छुट्टी पर थे। इस तरह कुल 55 मजदूर हिमस्खलन की चपेट में आए थे, जिनमें से 33 को बचा लिया गया है और बाकी 22 की तलाश जारी है।

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की सूची के अनुसार, फंसे हुए श्रमिक बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। हालांकि, 10 मजदूरों के गृह राज्य की जानकारी सूची में नहीं दी गई है।

सुमन ने बताया कि हिमस्खलन वाली जगह पर करीब सात फीट ऊंची बर्फ जमा हो गई है, जिससे बचाव कार्य मुश्किल हो रहा है। फिर भी, 65 से ज्यादा जवान इस अभियान में जुटे हुए हैं।

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