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उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों पर सैनिकों के परिवारों को अधिकार देने की उठाई मांग

Uttarakhand Waqf Board raised demand to give rights over Waqf properties to soldiers' families

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार-विमर्श करने के लिए बुलाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में सोमवार को भी जबरदस्त हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लगातार चल रहे वाद-विवाद के दौरान उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों पर सैनिकों के परिवारों को भी अधिकार देने का सुझाव दिया।

लोकसभा के महासचिव के साथ विचार-विमर्श करने के बाद जेपीसी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रेजेंटेशन को लेकर विपक्षी सांसदों की आपत्तियों को खारिज कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, अब दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधि मंगलवार को जेपीसी की बैठक में अपनी बात रखेंगे।

जेपीसी ने वक्फ संशोधन कानून पर सुझाव देने के लिए सोमवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड, हरियाणा वक्फ बोर्ड, पंजाब वक्फ बोर्ड, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड, सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों के समूह ‘कॉल फॉर जस्टिस’ और वक्फ किरायेदार कल्याण संघ सहित कई अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया था। लेकिन, दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रेजेंटेशन के दौरान विपक्षी दलों ने उसकी वैधता पर ही सवाल उठाते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया। विपक्षी सांसदों की तरफ से तर्क दिया गया कि दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी पहले ही जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल को पत्र लिखकर यह अनुरोध कर चुकी है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की रिपोर्ट का संज्ञान न लिया जाए।

सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली वक्फ बोर्ड की रिपोर्ट में वक्फ संपत्तियों को लेकर कई तरह की गड़बड़ियों का जिक्र किया गया है। विपक्षी दलों के सांसदों ने आरोप लगाया कि जेपीसी की बैठक में फर्जी प्रेजेंटेशन दिया जा रहा है और इन्हीं पर चर्चा भी करवाई जा रही है। विपक्षी दलों के इन आरोपों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच जोरदार बहस हुई। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने जेपीसी की बैठक से वॉकआउट कर दिया।

सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में अपना विरोध जताते हुए कई विपक्षी सांसदों ने उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर नहीं किए। यहां तक कि जिन विपक्षी सांसदों ने विवाद से पहले अपने हस्ताक्षर कर दिए थे, उन्होंने भी बाद में इसे काट दिया। हालांकि थोड़ी देर बाद विपक्षी सांसद फिर से बैठक में शामिल हो गए।

लेकिन दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रेजेंटेशन को लेकर गतिरोध बरकरार रहा। एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल को इस मामले में लोकसभा के महासचिव से सलाह लेने का सुझाव दिया। जेपीसी ने इसे लेकर लोकसभा के महासचिव के साथ विचार-विमर्श करने के बाद विपक्षी दलों की आपत्तियों को खारिज कर दिया।

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने जेपीसी की बैठक में बिल का समर्थन करते हुए वक्फ संपत्तियों पर सैनिकों के परिवारों को भी अधिकार देने की मांग रख दी। उनकी तरफ से कहा गया कि सरहद पर लड़ने वाले सैनिक का कोई मजहब नहीं होता, वह देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान देते हैं। इसलिए वक्फ बोर्ड की खाली जमीनों या जिन जमीनों पर होटल बने हुए हैं,उन्हें सैनिकों के परिवारों को दे देना चाहिए। इस सुझाव पर असदुद्दीन ओवैसी एवं अन्य विपक्षी सांसदों के साथ उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधि की नोक-झोंक भी हुई। वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भी इनके बीच तीखी बहस हुई।

जेपीसी की बैठक मंगलवार, 29 अक्टूबर को भी होगी। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रतिनिधि मंगलवार को एक बार फिर से जेपीसी की बैठक में मंत्रालय की तरफ से अहम प्रजेंटेशन देंगे। वहीं, दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधि भी मंगलवार की बैठक में अपनी बात रखेंगे।

जेपीसी की बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच लगातार तीखी बहस हो रही है। विपक्षी सांसद जहां लगातार सत्ता पक्ष के सांसदों के रवैये पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं सत्ता पक्ष के सांसद विपक्षी सांसदों के रवैये पर सवाल उठा रहे हैं।

इससे पहले, 22 अक्टूबर को हुई जेपीसी की बैठक के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने बैठक में हंगामे के माहौल के बीच टेबल पर रखी कांच की पानी की बोतल को टेबल पर पटक कर फोड़ दिया था। इससे कल्याण बनर्जी को चोट भी लग गई। इसके बाद उन्होंने बोतल के टूटे हुए हिस्सों को चेयरमैन की तरफ उछाल दिया था। उसी दिन, जेपीसी की बैठक में बहुमत के आधार पर तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी को उनके व्यवहार के लिए जेपीसी की बैठक से एक सत्र (एक दिन) के लिए निलंबित कर दिया गया था।

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