N1Live National भाजपा नेताओं के ‘बंटोगे तो कटोगे’ के बयान पर विवेक तन्खा का पलटवार, ‘मैं ऐसे बयानों को तवज्जो नहीं देता’
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भाजपा नेताओं के ‘बंटोगे तो कटोगे’ के बयान पर विवेक तन्खा का पलटवार, ‘मैं ऐसे बयानों को तवज्जो नहीं देता’

Vivek Tankha's response to BJP leaders' statement of 'If you divide, you will be divided', 'I do not give importance to such statements'

भोपाल, 24 अक्टूबर । कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने गुरुवार को भाजपा नेताओं के “बंटोगे तो कटोगे” बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वह इस तरह के बयानों को बिल्कुल भी तवज्जो नहीं देते हैं। जब आप इस तरह के बयान देते हैं, तो यह संविधान की मौलिक भावना के विपरीत होता है। यह कानून के विपरीत होता है जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

विवेक तन्खा ने कहा, “हम एक सेकुलर देश में रहते हैं, जहां विभिन्न प्रकार के धर्मों के लोग रहते हैं। हम चाहते हैं कि ऐसी स्थिति में हमारे देश में भाईचारा और एकता की भावना प्रबल हो। अगर हम कटुता लेकर चलेंगे, तो कभी प्रगति नहीं कर पाएंगे।”

कांग्रेस नेता ने बुधनी विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “हमारे प्रत्याशी राजकुमार पटेल जी इस चुनावी माहौल में हमारे प्रत्याशी हैं, और उनकी स्थिति इस समय काफी मजबूत है। क्षेत्रीय जनता उनके साथ है और उनके साथ एक गहरी भावना जुड़ी हुई है। खासकर, भाजपा के लोगों के बीच एक दरार आ गई है, जिसके कारण विदिशा के उम्मीदवार भार्गव साहब को बुधनी क्षेत्र का निमंत्रण नहीं मिल रहा है। इससे क्षेत्रीय भावना स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आई है।”

उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश में चुनाव की स्थिति को देखकर हमें यह समझना चाहिए कि स्थानीय उम्मीदवारों की पहचान और उनके क्षेत्र के प्रति उनका समर्पण भाव बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, जब जबलपुर में स्थानीय उम्मीदवारों को उनकी सही जगह से हटाकर किसी दूसरी जगह से लड़ाने की कोशिश की जाती है, तो जनता नाराज हो जाती है। हर एक नागरिक की इच्छा होती है कि उन्हें अपना प्रतिनिधि चाहिए, जो उनके क्षेत्र को सही तरीके से समझता हो और उनके साथ आसानी से संवाद कर सके।”

उन्होंने कहा, “बुधनी के चुनाव में क्षेत्रीय भावना का एक अहम स्थान है। शिवपुर और बीजापुर जैसे क्षेत्रों में भी स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रखते हुए चुनाव लड़ा जा रहा है। रावत जी, जो पहले भाजपा में थे। उनके साथ मेरे पुराने संबंध हैं, लेकिन यह उनका निर्णय था।”

उन्होंने कहा, “मैंने अनेक देशों में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया है और मैं मानता हूं कि भारत एक ऐसा देश है जहां दल-बदल की प्रथा है, जो अन्य देशों में नहीं देखने को मिलती। अमेरिका या ब्रिटेन में ऐसा नहीं होता कि किसी पार्टी का सदस्य अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़े। यह स्थिति हमारे संविधान के मूल विश्वास के खिलाफ है।”

कांग्रेस नेता ने कहा, “हमारी पार्टी की विचारधारा का प्रतिनिधित्व करना बहुत आवश्यक है। अगर कोई व्यक्ति वर्षों तक किसी विचारधारा का समर्थक रहा हो, तो अचानक से अपनी विचारधारा बदल लेना उचित नहीं है। यह एक नैतिक मुद्दा है और हमें यह विचार करना होगा कि क्या हम ऐसी व्यवस्था चाहते हैं, जहां दल-बदल की प्रथा प्रचलित हो।”

उन्होंने कहा, “बीजेपी के नेताओं द्वारा दिए गए बयान, चाहे गरीबी हो या अन्य मुद्दों पर, अक्सर विभाजनकारी होते हैं। ऐसे बयान हमारे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ होते हैं। हम एक सेक्युलर राष्ट्र हैं, जहां 140 करोड़ लोग साथ रहते हैं। अगर हम कटुता और संघर्ष की स्थिति बनाए रखेंगे, तो प्रगति संभव नहीं है। हमें सद्भावना और भाईचारे के साथ आगे बढ़ना होगा, तभी हम विकास कर पाएंगे।”

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