N1Live National वक्फ संशोधन बिल असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक, धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला : मौलाना मदनी
National

वक्फ संशोधन बिल असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक, धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला : मौलाना मदनी

Waqf Amendment Bill unconstitutional and undemocratic, attack on religious freedom: Maulana Madani

नई दिल्ली, 23 अगस्त । वक्फ संशोधन बिल को लेकर जमीयत उलमा-ए-हिंद गुरुवार को कहा कि विधेयक संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है और यह मुसलमानों को कदापि स्वीकार्य नहीं है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से यहां कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि वक़्फ से सम्बंधित जो संशोधन बिल लाया गया है, यह न केवल असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और अन्यायपूर्ण है, बल्कि भारतीय संविधान से प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के भी खिलाफ है और भारतीय संविधान की धारा 15, 14 और 25 का उल्लंघन करता है।

उन्होंने कहा, “सरकार का यह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है जो मुसलमानों को कदापि स्वीकार नहीं है। संशोधन की आड़ में बिल द्वारा देश के मुसलमानों को उस महान विरासत से वंचित कर देने का प्रयास हो रहा है, जो उनके पूर्वज गरीब, निर्धन और ज़रूरतमंद लोगों की सहायता के लिए वक्फ के रूप में छोड़ गए हैं।”

उन्होंने कहा कि मुस्लिम धार्मिक हस्तियों से किसी प्रकार का सलाह-मशविरा और मुसलमानों को विश्वास में लिए बगैर बिल में संशोधन किए गए हैं, जबकि वक्फ एक पूर्ण रूप से धार्मिक और शरीयत का मामला है। लोकतांत्रिक तरीके से “हम बिल का विरोध करेंगे”। अगर जरूरत पड़ी तो राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की ओर से संगठन को कोई बुलावा नहीं आया है लेकिन “हमने दस्तावेज तैयार किया है कि कहां-कहां कैसे नुकसान हो रहा है। हम इसे वापस लेने को कहेंगे। अगर हमें जेपीसी में बुलाया गया तो हम जाएंगे”।

मौलाना मदनी ने कहा कि संशोधन बिल को संसद में प्रस्तुत करते हुए दावा किया गया कि इससे कामकाज में पारदर्शिता आएगी और मुस्लिम समाज के कमजोर और जरूरतमंद लोगों को लाभ पहुंचेगा, लेकिन संशोधन का अब जो विवरण सामने आया है उनको देखकर स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि यह बिल सरकार की दुर्भावना और उसके खतरनाक इरादे का सबूत है। अगर यह बिल पास हो गया तो देश भर की वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। साथ ही नया विवाद भी खड़ा हो सकता है।

मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि वक्फ ट्रायब्यूनल और वक्फ कमिश्नरों की जगह इस बिल के अनुसार सभी अधिकार जिला कलेक्टरों को मिल जाएंगे। यही नहीं सेंट्रल वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों के सदस्यों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उनकी स्थिति भी परिवर्तित की जा रही है। उसमें गैर-मुस्लिमों को भी नामांकित या नियुक्त करने का रास्ता खोला जा रहा है। इस बिल के द्वारा अधिकारियों और सदस्यों के लिए मुसलमान होने की शर्त भी समाप्त की जा रही है।

मौलाना मदनी ने कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा नहीं है बल्कि संविधान और नियम का मुद्दा है। यह बिल धार्मिक स्वतंत्रता के भी खिलाफ है। हिंदू धार्मिक स्थलों की देखभाल और सुरक्षा के लिए जो श्राइन बोर्ड गठित किया गया है उसके लिए स्पष्ट रूप से यह विवरण मौजूद है कि जैन, सिख या बौद्ध उसके सदस्य नहीं होंगे। अगर जैन, सिख और बौद्ध श्राइन बोर्ड के सदस्य नहीं हो सकते तो वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों की नियुक्ति को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। वक्फ की संपत्तियों का प्रबंधन भी मुसलमानों के ही द्वारा होना चाहिए। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार की नीयत में खोट है।

उन्होंने यह भी कहा कि हम एक दो संशोधनों की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि बिल के अधिकतर संशोधन असंवैधानिक और वक्फ के लिए खतरनाक हैं। यह बिल मुसलमानों को दिए गए संवैधानिक अधिकारों पर करारा हमला है। संविधान ने अगर देश के हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता और समान अधिकार दिए हैं तो वहीं अल्पसंख्यकों को अन्य अधिकार भी दिए गए हैं और संशोधन बिल इन सभी अधिकारों को पूर्ण रूप से नकारता है।

Exit mobile version