पूर्व सैनिकों और मंडी के नागरिकों ने आज यहां बड़े उत्साह और उमंग के साथ विजय दिवस मनाया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन मौजूद थे। उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि दी और वीर जवानों के सर्वोच्च बलिदान पर प्रकाश डाला।
कारगिल युद्ध के नायक ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (सेवानिवृत्त) ने मंडी युद्ध स्मारक पर एक मार्मिक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने भारतीय सैनिकों के बलिदान को सम्मानित किया तथा 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में राष्ट्र की रणनीतिक भूमिका पर विचार व्यक्त किए।
इस कार्यक्रम में भारत के लिए लड़ने वाले बहादुर सैनिकों के साथ-साथ उन परिवारों को श्रद्धांजलि अर्पित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिन्होंने भारी बलिदान दिया – विशेष रूप से महिलाओं को।
उल्लेखनीय सम्मान पाने वालों में कारगिल शहीद हवलदार किशन की विधवा चिंता देवी भी शामिल थीं। ब्रिगेडियर ठाकुर ने वीरता और लचीलेपन की ऐसी कहानियों को याद रखने के महत्व पर जोर दिया जो भावी पीढ़ियों को प्रेरणा देती हैं। ब्रिगेडियर ठाकुर ने 1971 के संघर्ष में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
उन्होंने सशस्त्र बलों की त्वरित विजय की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप 93,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, लेकिन इस प्रक्रिया में भारत के बलिदान को नजरअंदाज कर दिए जाने पर चिंता जताई।
ब्रिगेडियर ने बांग्लादेश में चल रहे मुद्दों, विशेषकर हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार पर भी बात की, जिनकी जनसंख्या घटकर मात्र 9 प्रतिशत रह गई है। उन्होंने बांग्लादेश में वर्तमान में व्याप्त राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता की ओर ध्यान दिलाया तथा भारत के लिए इसके सुरक्षा निहितार्थों पर प्रकाश डाला।
ठाकुर ने पड़ोसी देशों के लिए भारत के बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयासों की सराहना की तथा सीमा मुद्दों, शरणार्थी संकटों और उग्रवाद का मुकाबला करने में उनके महत्व पर बल दिया।
राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस वर्ष अपने बजट भाषण में वादा किया था कि रक्षा गैर-पेंशनभोगियों के लिए मासिक अनुदान 3,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये किया जाएगा, हालांकि, इस संबंध में कुछ भी नहीं किया गया।
ठाकुर ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने 1971 के युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज कोई समारोह आयोजित करना उचित नहीं समझा।
उन्होंने कहा कि राज्य का पूर्व सैनिक समुदाय सरकार के उदासीन रवैये से निराश है।
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