December 17, 2025
National

पश्चिम बंगाल प्लॉट खरीदने पर टीएमसी नेताओं ने मांगी उगाही, इनकार पर बेटी से दुष्कर्म की कोशिश, एनएचआरसी ने लिया संज्ञान

West Bengal: TMC leaders demanded extortion money for buying a plot, attempted to rape the daughter when she refused, NHRC took cognizance

पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक परिवार का आरोप है कि हाल ही में उनके द्वारा खरीदे गए प्लॉट के बदले स्थानीय टीएमसी नेताओं ने उनसे प्रोटेक्शन मनी या टोल की मांग की। जब परिवार ने इस उगाही से इनकार कर दिया, तो उनकी 13 साल की नाबालिग बेटी को निशाना बनाया गया, उससे दुष्कर्म की कोशिश की गई और प्रयास नाकाम होने पर जानलेवा हमला किया गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस घटना पर संज्ञान लिया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में यह जानकारी दी।

प्रियंक कानूनगो ने एक्स पोस्ट में लिखा, “मेरे पास शिकायत आई है कि पश्चिम बंगाल के हावड़ा में एक परिवार से कथित तौर पर लोकल टीएमसी नेताओं द्वारा उनके इलाके में प्लॉट खरीदने पर ‘प्रोटेक्शन मनी/टोल’ मांगी गई। इंकार करने पर परिवार की 13 वर्षीय बच्ची से बलात्कार की कोशिश हुई और विफल होने पर उस पर प्राणघातक हमला किया गया, जिससे उसकी हालत गंभीर है। पीड़िता एक आर्मी ऑफिसर के परिवार से है। परिजनों ने टीएमसी विधायक समीर पांजा पर आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। हम मामले में कार्रवाई कर रहे हैं।”

मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में पुलिस कमिश्नर को भी एक विस्तृत पत्र भेजा है। आयोग ने कहा कि 9 दिसंबर की रात आरोपियों ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बच्ची की मां को गालियां दीं, उन पर शारीरिक हमला किया और घर के बाहर ही बच्ची से फिर दुष्कर्म का प्रयास किया। इस दौरान बच्ची पर लोहे की रॉड से वार किया गया, जिससे उसके सिर और सीने पर गंभीर चोटें आईं और वह अब अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है। परिजनों का दावा है कि यह पूरा घटनाक्रम केवल इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने हाल ही में खरीदे गए प्लॉट पर उगाही देने से मना कर दिया था, जबकि पुलिस ने मामले में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। परिवार ने आयोग से हस्तक्षेप, आरोपियों की गिरफ्तारी और अपनी सुरक्षा की मांग की है।

आयोग ने आगे कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप प्रथमदृष्टया मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन प्रतीत होते हैं। प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता में आयोग की पीठ ने मामले का संज्ञान लेते हुए यह निर्देश दिया है कि हावड़ा पुलिस कमिश्नर शिकायत में लगाए गए आरोपों की जांच करवाएं और दो सप्ताह के भीतर एक्शन टेकन रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत करें। आयोग ने शिकायत की कॉपी रिपोर्ट के साथ संलग्न करने और उसकी एक प्रति आयोग के ईमेल पर भेजने के निर्देश भी दिए हैं।

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