मंडी, 2 अगस्त जिला वेटलैंड समिति के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण और प्रशिक्षण कार्यशाला कल लाहौल और स्पीति के केलांग में आयोजित की गई। हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (HIMCOSTE) और राज्य वेटलैंड प्राधिकरण के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डिप्टी कमिश्नर राहुल कुमार ने की।
कार्यशाला का उद्देश्य जिले के भीतर वेटलैंड झीलों की पहचान का विस्तार करना था, जिसमें सूरजताल, दीपकताल और सिस्सू के साथ-साथ प्राथमिक वेटलैंड झील चंद्रताल शामिल हैं।
कुमार ने संरक्षण प्रयासों में स्थानीय भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जागरूकता अभियानों और संरक्षण गतिविधियों में स्थानीय युवाओं, महिला मंडलों और गैर सरकारी संगठनों को शामिल करने के अलावा
‘वेटलैंड मित्र’ स्वयंसेवकों की भर्ती की जाएगी। डीसी ने पारिस्थितिक स्थिरता को बढ़ाने के लिए झीलों के आसपास उपयुक्त वनस्पति लगाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
कुमार ने सभी जिला झीलों के लिए ‘स्वास्थ्य कार्ड’ विकसित करने और झील के आकलन और हितधारक परामर्श के माध्यम से एक व्यापक एकीकृत प्रबंधन योजना बनाने की योजनाओं की रूपरेखा तैयार की।
कार्यशाला में रवि शर्मा (HIMCOSTE) द्वारा तकनीकी सत्र शामिल थे, जिन्होंने आर्द्रभूमि झील उद्देश्यों पर चर्चा की, और कुणाल भारत, वानिकी और जैव विविधता के सलाहकार, जिन्होंने आर्द्रभूमि प्रबंधन पर विस्तार से जानकारी दी।
वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक रिशव राणा ने आर्द्रभूमि बचाओ अभियान पर विस्तार से जानकारी दी, जबकि सेवानिवृत्त प्रभागीय वन अधिकारी एसके गुलेरिया ने आर्द्रभूमि संरक्षण के सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं पर प्रकाश डाला।