April 19, 2025
Entertainment

जब दिल्ली में नहीं था प्रदूषण…, शेखर कपूर ने सुनाया बचपन का किस्सा

When there was no pollution in Delhi…, Shekhar Kapoor narrated the story of his childhood

फिल्म निर्माता-निर्देशक शेखर कपूर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर अपने बचपन की यादों को ताजा किया। उन्होंने उन दिनों को याद किया, जब दिल्ली प्रदूषण से मुक्त थी और रात के समय आसमान में तारे चमकते थे और ताजी हवाएं चलती थीं। खुली आसमान की एक तस्वीर के साथ शेखर कपूर ने अपने बचपन को याद करते हुए लिखा, “एक समय था जब दिल्ली प्रदूषित शहर में नहीं आती थी। गर्मियों में हम अपने एक मंजिला घर की छत पर खुले आसमान के नीचे सोते थे। तारे इतने चमकीले थे कि खूब रोशनी लगती थी। मैं लगभग नौ साल का था और तारों को उत्सुकता के साथ देखता रहता था। तारों और आकाशगंगा को लेकर मैं अपनी मां से पूछता था- अंतरिक्ष कितनी दूर है? वह कहतीं – बहुत दूर।”

शेखर कपूर ने कहा, “मैं उस उम्र में था जब शिक्षा का असर मेरे दिमाग पर होना शुरू हो चुका था। मुझे सिखाया गया था कि कुछ भी होने के लिए उसे मापने योग्य होना चाहिए। उसे परिभाषित किया जाना चाहिए। दूरी, लंबाई, चौड़ाई, वजन, और समय से परिभाषित किया जाना चाहिए। नौ साल की उम्र में मैं रात में जागता रहता था और कल्पनाओं में खो जाता था। मैं हमेशा उस आकाशगंगा के बारे में सोचता रहता और छूने की कोशिश करता।” उन्होंने कहा, “बेशक यह भावनात्मक उथल-पुथल थी। मैं वहीं लेटा रहता। सो नहीं पाता। निराशा और पीड़ा के आंसू बहते रहते थे और तभी मुझे जादुई औषधि का पता चला। कहानियों का जादू और फिर हर रात मैं इसे एक कहानी में बदल देता था। एक अलग कहानी में। खुद की तलाश जारी रखें।”

शेखर कपूर प्रकृति प्रेमी हैं। एक अन्य पोस्ट में वह हिमालय की खूबसूरती में डूबे नजर आए थे। पोस्ट के माध्यम से उन्होंने बताया था कि खुद को अभिव्यक्त कैसे करना चाहिए।सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर बर्फ से ढंकी हिमालय की चोटियों का उन्होंने दीदार कराया। तस्वीर के साथ लिखा, “मुझे कहानियां सुनाना बहुत पसंद है और हिमालय से बेहतर और क्या हो सकता है? खुद को पढ़ना तराशने की एक कला है। हम सभी जन्मजात कहानीकार हैं। हमें बस खुद को खुलकर अभिव्यक्त करना चाहिए और इसमें संकोच नहीं करना चाहिए।”

शेखर कपूर ‘मासूम’ (1983), ‘बैंडिट क्वीन’ और ‘जोशीले’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने ‘बरसात’ और ‘दुश्मनी’ का भी निर्देशन किया। साल 2016 में कपूर ने माता अमृतानंदमयी देवी के नाम से प्रसिद्ध अम्मा पर ‘द साइंस ऑफ कम्पैशन’ शीर्षक से डॉक्यूमेंट्री भी बनाई।उन्होंने हॉलीवुड में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। साल 1998 में ‘एलिजाबेथ’ और फिर 2007 में ‘एलिजाबेथ द सीक्वल’ को भी काफी पसंद किया गया।

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