N1Live National महिला दिवस विशेष : बीमारी के होने से पहले ही पता लगाकर इलाज शुरू कर देती है ‘डॉक्टर बेटी’
National

महिला दिवस विशेष : बीमारी के होने से पहले ही पता लगाकर इलाज शुरू कर देती है ‘डॉक्टर बेटी’

Women's Day Special: 'Doctor Beti' detects the disease before it occurs and starts treatment

भोपाल, 8 मार्च । बीमारी आम आदमी की जिंदगी को मुश्किल भरा बना देती है। अगर बीमारी के होने से पहले ही उसका पता लगा लिया जाए तो लड़ाई जीतना आसान हो जाता है। मध्य प्रदेश के सतना जिले में डॉ. स्वप्ना वर्मा बीमारी पर जीत हासिल करने की मुहिम में जुटी हैं, इसी का नतीजा है कि उन्हें हर कोई ‘डॉक्टर बेटी’ कहकर पुकारने लगा है।

सतना जिले के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के साथ ही बीमारी का पहले ही पता करने के अभियान में डॉ. स्वप्ना वर्मा जुटी हैं।

एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने गांव का रूख किया। डॉ. वर्मा द्वारा मधुरिमा सेवा संस्कार संस्थान के जरिए सतना जिले में स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों का महाअभियान चलाया जा रहा है।

292 दिनों में 110 से ज्यादा चिकित्सा शिविर लगाए जा चुके हैं, जिनमें 60,000 से ज्यादा लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और निःशुल्क दवाइयां दी गई। 45,000 से ज्यादा मरीजों के खून और पेशाब की जांच हुई और 4 लाख यूनिट से ज्यादा नि:शुल्क दवाइयां वितरित की गई। 2,000 लोगों को चश्मे वितरित किए गए और 100 मरीजों की आंखों के ऑपरेशन कराए गए।

एक तरफ डॉ. वर्मा जहां स्वास्थ्य परीक्षण कर उपचार को प्राथमिकता दे रही हैं तो वहीं दूसरी ओर बीमारी आने से पहले ही उसका निदान खोजने के लिए मास हेल्थ स्क्रीनिंग भी कर रही हैं। 30,000 से ज्यादा लोगों का हेल्थ प्रोफाइल तैयार कर लिया गया है। चिकित्सा क्षेत्र की यह ऐसी तकनीक है, जिसमें व्यक्ति का स्वास्थ्य परीक्षण कर आने वाले समय में होने वाली संभावित बीमारी का पहले ही पता चल जाता है, जिससे उपचार के जरिए बीमारी के खतरे को रोकना आसान है।

डॉ. वर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बीमारी मुक्त भारत अभियान’ के संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने सतना जिले में ‘सतना प्रकल्प’ की शुरुआत की है। इसके जरिए सिर्फ वे ही नहीं, उनके कई सहयोगी गांव-गांव पहुंचकर जरुरतमंदों का इलाज कर रहे हैं। वहीं, मास हेल्थ स्क्रीनिंग के जरिए हेल्थ प्रोफाइल तैयार किया जा रहा है। यह कोशिश बीमारी मुक्त भारत के अभियान में उस गिलहरी जैसी भूमिका है, जिसने रामसेतु के निर्माण में अपना योगदान दिया था।

उन्होंने आगे बताया कि उनके संस्थान ने ‘क्लीनिक ऑन व्हील’ तैयार किया है। यह चलता-फिरता अस्पताल है, जो दूरस्थ इलाकों के निवासियों के घर के दरवाजे तक पहुंच कर नि:शुल्क इलाज उपलब्ध कराता है, जो अस्पताल जाने में सक्षम नहीं हैं।

Exit mobile version