हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए वन विभाग ने ऊपरी शिमला क्षेत्र में अतिक्रमित वन भूमि से सेब के बागानों को हटाने का अभियान शुरू कर दिया है। हाईकोर्ट ने पूरे प्रदेश में लोगों द्वारा अतिक्रमण की गई वन भूमि से सेब के बागानों को हटाने के आदेश जारी किए हैं।
वन विभाग ने कोटखाई और कुमारसैन उप-मंडल से अभियान की शुरुआत की है। कोटखाई उप-मंडल में, विभाग उच्च गुणवत्ता वाले सेब उत्पादन के लिए प्रसिद्ध चैथला गाँव से सेब के बागान हटा रहा है। सूत्रों के अनुसार, लगभग 300 बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जहाँ लगभग 4,000 सेब के पेड़ लगे हुए हैं। विभाग कल से यहाँ सेब के पेड़ों की कटाई कर रहा है। एक अधिकारी ने कहा, “हम कल उच्च न्यायालय में अपनी कार्रवाई की अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करेंगे।”
चैथला गाँव के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पांडली की प्रधान शशि कहती हैं कि यह अभियान तब तक जारी रहना चाहिए जब तक पूरे राज्य से अतिक्रमण नहीं हट जाता। उन्होंने कहा, “अतिक्रमण हर जगह है और इसे पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए। सिर्फ़ हमारे गाँव को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब अतिक्रमणकारियों ने ज़मीन पर कब्ज़ा करके पेड़ लगाना शुरू किया था, तभी उन्हें क्यों नहीं रोका गया। उन्होंने कहा, “क्या उस समय सरकारी अधिकारी सो रहे थे? अतिक्रमण एक दिन में नहीं हुआ और न ही पौधा रातोंरात विशाल पेड़ बन गया। मौजूदा हालात के लिए सरकार और उसके अधिकारी भी बराबर के ज़िम्मेदार हैं।”
पंचायत द्वारा अदालत के आदेश का सम्मान करने की बात कहते हुए, उन्होंने कहा कि वे बस यही चाहते थे कि फलों की कटाई होने तक अभियान स्थगित कर दिया जाए। उन्होंने कहा, “हमने अपनी ग्राम सभा में इस आशय का प्रस्ताव रखा था, लेकिन अधिकारियों ने हमारी एक न सुनी। फलों से लदे बड़े पेड़ों को कटते देखना हमारे लिए बहुत दुखद है।”