कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग ने हाल ही में ‘शोध प्रस्तुति’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि अनुसंधान भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अनुसंधान नवाचार, उद्यमिता, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास और समावेशी विकास के ढांचे को सक्षम बनाता है, जिससे राष्ट्र मजबूत होता है।
प्रोफेसर सचदेवा ने कहा कि अब शोध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग डेटा का विश्लेषण करने और लेखन को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है। जय अनुसंधान नारे के महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रोफेसर सचदेवा ने कहा कि शोध को बढ़ावा देना कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की प्राथमिकता है और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य के लिए संदर्भ ठीक से लिखने की सलाह दी गई। उन्होंने शोधार्थियों को अपने शोध कार्य को कथा के रूप में प्रस्तुत करने की भी सलाह दी ताकि विषय विशेषज्ञ को शोध कार्य की पूरी समझ मिल सके।
विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज जोशी ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा बताया कि तीन सत्रों में होने वाली कार्यशाला के लिए 125 शोधार्थियों ने पंजीकरण कराया है। दिल्ली विश्वविद्यालय से आए संसाधन व्यक्ति डॉ. आशीष विश्वास ने शोधार्थियों को बताया कि एआई शोध कार्य से संबंधित आंकड़ों एवं प्रवृत्तियों का त्वरित विश्लेषण किया जा सकता है। अन्य संसाधन व्यक्ति डॉ. आरके भारद्वाज ने शोध में संदर्भों की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी। केंद्रीय विश्वविद्यालय से आए डॉ. श्रीराम पांडे ने शोध में साहित्य समीक्षा के अंतर को कम करने की बात कही।