यमुनानगर, 30 मई
यमुनानगर जिले के छह स्क्रीनिंग प्लांटों ने कथित तौर पर अपने रिकॉर्ड में लगभग 1.12 लाख मीट्रिक टन (एमटी) कच्चे खनन खनिजों – बोल्डर, बजरी और रेत का मिश्रण – की नकली खरीद दिखाई है। संयंत्रों ने कथित तौर पर उल्लेख किया है कि उन्होंने झज्जर, फरीदाबाद, पानीपत, गुरुग्राम, सोनीपत, महेंद्रगढ़ और पंचकुला जिलों से कच्चे खनन खनिज खरीदे। हालांकि, झज्जर, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, पानीपत और सोनीपत जिलों में बोल्डर और बजरी के रूप में ऐसा कोई खनिज मौजूद नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि कच्चे खनिजों की खरीद केवल कागजों पर दिखाई गई। वास्तव में, उन्हें यमुनानगर जिले में ही अवैध खनन के माध्यम से इतनी बड़ी मात्रा में खनिज प्राप्त हुए थे, क्योंकि जिले में बोल्डर, बजरी और रेत बहुतायत में हैं।
कच्चे खनिजों की नकली खरीद का पता खनन एवं भूविज्ञान विभाग, यमुनानगर के सहायक खनन अभियंता (एएमई) राजेश सांगवान ने अपने ई-रावण पर जिले के कई संदिग्ध पौधों के खनिजों की खरीद-बिक्री से संबंधित रिकॉर्ड की जांच के दौरान लगाया। पोर्टल हाल ही में।
जानकारी के अनुसार यमुनानगर जिले में अन्य जिलों से खनिजों का भौतिक प्रेषण नहीं किया गया है। इसकी पुष्टि विभाग द्वारा अन्य जिलों के खनिज डीलर लाइसेंस (एमडीएल) धारकों के सीसीटीवी फुटेज से की गई।
सांगवान ने कहा, “कई एमडीएल धारकों ने जिले के स्क्रीनिंग प्लांट के मालिकों को केवल कागजात (ई-ट्रांजिट पास) के माध्यम से खनिज मात्रा (खरीद) प्रदान की है।” उन्होंने कहा कि बदले में संयंत्र के मालिकों ने खनिजों को प्राप्त करने के लिए अवैध खनन किया और अपने ई-रावण पोर्टल से ई-ट्रांजिट पास बनाकर उन्हें बेच दिया।
सूत्रों ने कहा कि खनिजों की नकली खरीद की यह प्रथा न केवल खनिजों के अवैध खनन को बढ़ावा दे रही थी, बल्कि रॉयल्टी और बिक्री कर के रूप में सरकारी राजस्व का भारी नुकसान भी कर रही थी।
हाल ही में खान एवं भूतत्व विभाग के निदेशक को लिखे पत्र में सांगवान ने कहा कि अन्य जिलों के एमडीएल धारकों और यमुनानगर जिले के खनिजों की फर्जी खरीद के लाभार्थियों के खिलाफ उनके ई-रावण पोर्टल को बंद करके या यहां तक कि कड़ी कार्रवाई करने की तत्काल आवश्यकता है। उनके लाइसेंस रद्द करना।
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