December 30, 2024
National

साल 2024 : नीतीश की ‘पलटी’ और नए लोगों के ‘आगाज’ से बदलती रही बिहार की सियासी चाल

Year 2024: Bihar’s political moves changed with Nitish’s ‘turn’ and ‘debut’ of new people

पटना, 28 दिसंबर बिहार के लोग अब नए साल के स्वागत की तैयारी में जुट गए हैं। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाला है। इसके पहले गुजरने वाले साल की भी समीक्षा होने लगी है। गौर से देखें तो चुनाव से पहले के इस साल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘पलटी’ और राजनीति में हुए नए लोगों के आगाज के लिए याद किया जाएगा, जिसने बिहार की सियासी चाल बदल दी।

दरअसल, इस साल की शुरुआत में ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करते नजर आए। जनवरी में ‘पलटी’ मारते हुए वह 17 महीने चली महागठबंधन की सरकार से बाहर हो गए और एनडीए में चले आए। इसके बाद उन्होंने भाजपा के सहयोग से सरकार बनाने का दावा पेश किया और 28 जनवरी को नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

गौर करने वाली बात यह है कि इस साल के पहले महीने से लेकर अंतिम महीने तक विभिन्न सार्वजनिक मंचों से नीतीश कुमार दोहराते भी रहे हैं कि पहले गलती हो गई थी, लेकिन अब वह “कभी इधर-उधर नहीं जाएंगे”। हालांकि समय-समय पर उनके फिर से पलटने के कयास लगते रहे हैं और खूब चर्चा भी होती रही।

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह, राजद अध्यक्ष लालू यादव की पुत्री रोहिणी आचार्य और बिहार के मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी ने भी बिहार की सियासत में एंट्री किए।

रोहिणी आचार्य ने सारण और सिंह ने काराकाट से चुनावी मैदान में उतरकर खलबली मचा दी। ये दोनों चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन काराकाट में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा को भी हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि, शांभवी चौधरी समस्तीपुर से सांसद बन गईं।

यही नहीं, इस लोकसभा चुनाव में एनडीए में लोजपा रामविलास को पांच सीटें दी गई थीं, लेकिन उनके चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोजपा को एक भी सीट नही मिली। लोजपा रामविलास ने मौके का लाभ उठाते हुए सभी पांच सीटों पर जीत का परचम लहराया।

इस साल को बिहार में चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.सी.पी. सिंह की पार्टी ‘आप सब की आवाज’ के सियासी आगाज के लिए भी याद किया जाएगा। दोनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कभी नजदीकी रहे थे और अब राजनीति की पिच पर उन्हें चुनौती देंगे।

वैसे, इस साल कई सियासी यात्राएं भी शुरू हुई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव समेत कई नेता इस साल यात्रा पर निकले।

बहरहाल, इस गुजरे वर्ष में बिहार की सियासत में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले चुनावी साल में प्रदेश की सियासत कैसा रंग दिखाती है।

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