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यूनुस से वापस लेना चाहिए नोबेल शांति पुरस्कार: पूर्व डीजीपी शेष पॉल वैद

Yunus should be stripped of his Nobel Peace Prize: Former DGP Sesh Paul Vaid

जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी शेष पॉल वैद ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की आलोचना करते हुए कहा कि उनसे नोबेल पुरस्कार वापस ले लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नोबेल पुरस्कार समिति ने खुद को कलंकित कर लिया है।

पूर्व डीजीपी शेष पॉल वैध ने आईएएनएस से बातचीत में कहा है कि सीरिया और पाकिस्तान जैसी हालात बांग्लादेश की भी होने वाली हैं। जिस तरह से अल्पसंख्यकों को परेशान किया जा रहा है, ऐसे में वहां के वर्तमान मुखिया का सकारात्मक रोल होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं है। जब से वहां तख्तापलट हुआ है, तब से बांग्लादेश की हालत बिगड़ गई है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश आगे बढ़ रहा था, अर्थव्यवस्था में भी सुधार हो रहा था, लोगों को काम मिल रहा था, लेकिन अब सिर्फ जिहाद देखने को मिल रहा है। निवेशक आ नहीं रहे, फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं, बांग्लादेश उस रास्ते पर है, जो सिर्फ बर्बादी देगा। बांग्लादेश जल्द ही सीरिया और पाकिस्तान बनने वाला है।

पूर्व डीजीपी का कहना है कि बांग्लादेश के बर्बाद होने के बाद सबसे अधिक गरीब लोग मारे जाएंगे। कल ही एक अल्पसंख्यक के लड़के को भीड़ ने मारा और फिर उसे जिंदा जलाया। ऐसी घटनाओं ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बांग्लादेश किस रास्ते पर जा रहा है। उन्हें सोचना चाहिए कि इससे सिर्फ बेगुनाह मारे जाएंगे और कुछ हासिल होने वाला नहीं है।

शेष पॉल वैद ने कहा कि डीप स्टेट ने मोहम्मद यूनुस को नियुक्त किया और जब तख्तापलट हुआ तो उन्हें बैठा दिया गया। अगर इससे भी बांग्लादेश और वहां के लोगों में सुधार होता तो भी ठीक था, लेकिन ऐसा नहीं है। ऐसे आदमी को नोबेल प्राइज देखकर उन्होंने अपना महत्व गिराया है क्योंकि आम आदमी ही सुरक्षित नहीं है और सिर्फ बर्बादी ही बर्बादी हो रही है। नोबेल प्राइज वापस ले लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था जब बांग्लादेश हमारा प्रिय मित्र हुआ करता था, इसमें कोई शक नहीं है। हम तो उसे अपना मानते थे, लेकिन मोहम्मद यूनुस के बाद जिस तरह की हरकतें हो रही हैं, अब भारत को अपने फैसले के बारे में सोचना चाहिए। अब बांग्लादेश को दोस्त देश नहीं माना जा सकता है। वह पाकिस्तान से भी खराब स्थिति में जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यहां के लोगों की एंट्री ऐसे ही नहीं होनी चाहिए। वीजा के नियमों पर कड़ाई होनी चाहिए। इसके साथ ही वहां के खिलाड़ियों को भी आईपीएल में रखने के बारे में सोचना चाहिए। सोचना चाहिए कि ये पैसा कहां और किसलिए उपयोग हो रहा है।

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