शंभू बॉर्डर पर आज 101 किसानों के एक छोटे समूह पर हरियाणा पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक जगजीत सिंह दल्लेवाल ने सभी देशवासियों से आह्वान किया है कि वे किसानों की आत्महत्याओं को रोकने और उनके बच्चों के भविष्य के लिए ‘किसान आंदोलन’ को अपना आंदोलन समझें। खनौरी बॉर्डर पर दल्लेवाल का अनिश्चितकालीन अनशन आज 11वें दिन में प्रवेश कर गया। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई को किसी भी कीमत पर बीच में नहीं छोड़ा जा सकता।
खनौरी मोर्चे पर आज स्थिति शांतिपूर्ण रही और वहां कोई अप्रिय गतिविधि नहीं हुई। दल्लेवाल ने खनौरी में उनके द्वारा किए गए शांतिपूर्ण अनशन का भी जिक्र करते हुए कहा कि जब खनौरी बॉर्डर से दिल्ली जाने का कोई कार्यक्रम नहीं था तो हरियाणा सरकार ने हरियाणा की तरफ तीन जगह बैरिकेडिंग क्यों की। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के इस कृत्य पर सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए।
दल्लेवाल ने कहा कि पैदल दिल्ली जा रहे 101 किसानों के एक छोटे समूह के खिलाफ हरियाणा सरकार द्वारा की गई कार्रवाई ने हरियाणा सरकार के साथ-साथ केंद्र की मंशा को भी उजागर कर दिया है।
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले किसान नेता सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के पास गए थे, जहां हरियाणा के गृह सचिव और हरियाणा के डीजीपी मौजूद थे। दोनों अधिकारियों ने उन्हें बताया था कि किसान पैदल ही दिल्ली जा सकते हैं, लेकिन आज वे इससे मुकर गए।
दल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार को खेती-किसानी से दिक्कत है और वह कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करना चाहती है। इसी वजह से केंद्र सरकार न तो किसानों से बातचीत कर रही है और न ही उन्हें पैदल भी दिल्ली जाने दे रही है। इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार किसानों से बात नहीं करना चाहती।
हरियाणा पुलिस की कार्रवाई के बाद की स्थिति के बारे में दल्लेवाल ने कहा कि दोनों मोर्चे – एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम – चर्चा करेंगे और उसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए निर्णय लिया जाएगा।
खनौरी बॉर्डर पर 26 से 30 नवंबर तक अनशन करने वाले किसान नेता सुखजीत सिंह हरदो झंडे ने कहा कि आज यह स्पष्ट हो गया है कि हरियाणा सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है, क्योंकि उसने किसानों को दिल्ली जाने से रोक दिया है।
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