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कांगड़ा जिले में 117 और गांव टीसीपी अधिनियम के अंतर्गत लाए गए

117 more villages brought under TCP Act in Kangra district

धर्मशाला, 28 अगस्त 20 अगस्त को जारी अधिसूचना में राज्य सरकार ने पालमपुर विधानसभा क्षेत्र के 76 और गांवों तथा पालमपुर नगर निगम में आने वाले सभी क्षेत्रों को नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम 1977 के अंतर्गत लाया है। इसके साथ ही अब पालमपुर विधानसभा क्षेत्र के 79,800 लोगों की आबादी वाले 103 गांवों पर टीसीपी अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। हिमाचल सरकार द्वारा 22 अगस्त को जारी अधिसूचना के अनुसार पालमपुर के अलावा बैजनाथ और पपरोला क्षेत्रों के 12 और गांव, धर्मशाला के 22 और गांव तथा शाहपुर क्षेत्र के सात गांवों को नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम के अंतर्गत लाया गया है।

कुल मिलाकर, कांगड़ा जिले में 117 और गांवों को नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम के अंतर्गत लाया गया है।

टीसीपी एक्ट के तहत और अधिक क्षेत्रों को लाने के सरकार के फैसले का सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने भी विरोध किया है। पालमपुर से कांग्रेस विधायक और मुख्य संसदीय सचिव आशीष बुटेल ने सरकार के फैसले के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई है। संपर्क किए जाने पर बुटेल ने कहा कि 76 और गांवों को शामिल करने से लगभग पूरा पालमपुर विधानसभा क्षेत्र टीसीपी एक्ट के तहत आ गया है। उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए परेशानी खड़ी होगी। उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी जमीन पर गौशाला बनाने से पहले भी नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से अनुमति लेनी होगी।

उन्होंने कहा, “इलाके के लोग मेरे पास आ रहे हैं और विकास पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। मैंने इस मामले को नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री और मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया है। दोनों ने मुझे आश्वासन दिया है कि वे नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम के अंतर्गत 76 गांवों को शामिल करने पर उनकी आपत्ति पर विचार करेंगे।”

सरकार ने भूकंपीय गतिविधि के लिहाज से जोन-5 में आने वाले कांगड़ा जिले के ग्रामीण इलाकों में निर्माण को विनियमित करने के लिए उक्त क्षेत्रों को टीसीपी अधिनियम के तहत लाया है। टीसीपी अधिनियम के तहत उक्त क्षेत्रों को शामिल करने का मतलब है कि वहां रहने वाले लोगों को कोई भी निर्माण करने से पहले टीसीपी विभाग से अपनी योजना को मंजूरी लेनी होगी। इससे पहले, क्षेत्र के लोगों को स्थानीय पंचायत से निर्माण की अनुमति लेनी पड़ती थी।

पिछले मानसून में राज्य में आई प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में बन रही बहुमंजिला इमारतों पर चिंता व्यक्त की जा रही है।

नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने पूछे जाने पर कहा कि टीसीपी एक्ट के तहत यह प्रावधान है कि 600 वर्ग मीटर से कम के सभी निर्माणों के नक्शे स्थानीय पंचायतों द्वारा विभाग द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत पास किए जा सकते हैं। इसलिए छोटे निर्माण करने वाले लोगों को परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार कांगड़ा में और अधिक क्षेत्रों को टीसीपी एक्ट के तहत लाया गया है।

आशीष बुटेल की आपत्ति के बारे में धर्माणी ने कहा कि बुटेल की आपत्ति के बाद विभाग को पालमपुर विधानसभा क्षेत्र में टीसीपी अधिनियम के तहत लाए गए क्षेत्रों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए कहा गया है। विभाग जन सुनवाई करेगा और देखेगा कि क्या कुछ दूरदराज के क्षेत्रों को टीसीपी अधिनियम से छूट दी जा सकती है।

मंत्री ने आगे कहा कि विभाग कांगड़ा, कुल्लू और शिमला जिलों के लिए मास्टर प्लान बनाने के करीब है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन स्थानों पर योजनाबद्ध विकास हो।

मंत्री ने आश्वासन दिया, पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि आशीष बुटेल की आपत्ति के बाद टीसीपी अधिनियम के तहत लाए गए क्षेत्रों का पुनः मूल्यांकन किया जाएगा टीसीपी अधिनियम के तहत 600 वर्ग मीटर से कम के निर्माण को पंचायतों द्वारा मंजूरी दी जा सकेगी

उक्त क्षेत्रों को टी.सी.पी. अधिनियम के अंतर्गत रखा गया है, जिसका उद्देश्य कांगड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माणों को विनियमित करना है, जो भूकंपीय गतिविधि की दृष्टि से जोन-5 के अंतर्गत आते हैं।

मंत्री ने आगे कहा कि विभाग कांगड़ा, कुल्लू और शिमला जिलों के लिए मास्टर प्लान बनाने के करीब है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन स्थानों पर योजनाबद्ध विकास हो।
पिछले मानसून में राज्य में आई प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में बन रही बहुमंजिला इमारतों पर चिंता व्यक्त की जा रही है।

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