सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को 2002 के रंजीत सिंह हत्या मामले में स्वयंभू संत और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को बरी किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के 28 मई के आदेश को चुनौती देने वाली जगसीर सिंह नामक व्यक्ति की याचिका पर राम रहीम और चार अन्य आरोपियों को नोटिस जारी किया गया।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने उनसे चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर के लिए तय की।
उच्च न्यायालय ने राम रहीम और अन्य द्वारा दायर अपीलों को अनुमति दे दी थी, जिन्हें 2021 में पंचकूला में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी ठहराया था। उच्च न्यायालय ने अवतार सिंह, जसबीर सिंह, सबदिल सिंह और कृष्ण लाल को भी बरी कर दिया था, जिन सभी को राम रहीम के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
हालांकि, बरी होने के बावजूद राम रहीम जेल में ही रहा क्योंकि उसे बलात्कार और हत्या के अन्य मामलों में दोषी ठहराया गया था। पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह को 10 जुलाई 2002 को कुरुक्षेत्र के खानपुर कोलियान गांव में चार हमलावरों ने गोली मार दी थी।
विशेष सीबीआई अदालत ने राम रहीम और अन्य को हत्या का दोषी पाया और उन्हें 2021 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह संदेह था कि रंजीत सिंह की हत्या एक पत्र प्रसारित करने में उनकी कथित भूमिका के कारण की गई थी, जिसमें बताया गया था कि कैसे संप्रदाय प्रमुख सिरसा में डेरा मुख्यालय में महिलाओं का यौन शोषण कर रहा था।
सिरसा के पत्रकार राम चंद्र छत्रपति ने बाद में एक समाचार रिपोर्ट में उसी पत्र का इस्तेमाल किया। रिपोर्ट प्रकाशित होने के तुरंत बाद उनकी हत्या कर दी गई। पत्रकार की हत्या के आरोप में राम रहीम को भी दोषी ठहराया गया।
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