नई दिल्ली, भारतीय क्रिकेट इतिहास में ‘3 अगस्त’ का दिन बेहद खास है। इसी दिन ऐसे तीन खिलाड़ियों का जन्म हुआ, जिन्होंने छोटे-से करियर में गहरी छाप छोड़ी। इनमें से एक खिलाड़ी ने भारत को ‘वर्ल्ड कप’ खिताब जिताने में अहम रोल भी निभाया।
बलविंदर संधू : विश्व कप 1983 के फाइनल मैच में वेस्टइंडीज के सलामी बल्लेबाज गॉर्डन ग्रीनिज को आउट करके भारत को खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले संधू का जन्म साल 1956 में बॉम्बे में हुआ था। दाएं हाथ के मध्यम गति के गेंदबाज संधू गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने में माहिर थे। वह एक उपयोगी बल्लेबाज भी थे।
पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू टेस्ट मैच में संधू ने दो विकेट लेने के अलावा नौंवे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए भारत की पहली पारी में 71 रन बनाए। संधू के इंटरनेशनल करियर को देखें, तो उन्होंने आठ टेस्ट में 10 विकेट लेने के अलावा 214 रन बनाए। 22 वनडे मुकाबलों में उनके नाम 16 विकेट दर्ज हैं। बलविंदर संधू ने 55 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 168 विकेट हासिल किए, जबकि 42 लिस्ट-ए मुकाबलों में उनके नाम 36 विकेट हैं।
गोपाल शर्मा: साल 1960 को कानपुर में जन्मे गोपाल शर्मा आजाद भारत में उत्तर प्रदेश की ओर से सीनियर भारतीय पुरुष टीम में खेलने वाले पहले क्रिकेटर हैं। दाएं हाथ के ऑफ स्पिनर ने साल 1985 में टेस्ट डेब्यू किया और इंग्लैंड के खिलाफ करियर की पहली ही पारी में तीन विकेट झटके।
गोपाल शर्मा ने टेस्ट करियर में कुल 5 मैच खेले, जिसमें 10 विकेट हासिल किए। 11 वनडे मुकाबलों में भी उनके नाम इतने ही विकेट रहे। लक्ष्मण शिवरामकृष्णन, मनिंदर सिंह, अरशद अयूब, शिवलाल यादव, रवि शास्त्री और नरेंद्र हिरवानी जैसे खिलाड़ियों के बीच गोपाल शर्मा अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को ज्यादा लंबा नहीं बना सके।
हालांकि, गोपाल शर्मा का फर्स्ट क्लास करियर शानदार रहा, जिसमें उन्होंने 104 मैच खेलते हुए 30.01 की औसत के साथ 353 विकेट झटके।
अपूर्व सेनगुप्ता: साल 1939 में जन्मे अपूर्व सेनगुप्ता टेस्ट मैच खेलने वाले लखनऊ के पहले खिलाड़ी थे। अपूर्व सेनगुप्ता शानदार लेग ब्रेक गेंदबाज थे, और उम्दा बल्लेबाज भी, जिन्होंने जनवरी 1959 में इकलौता टेस्ट खेला।
सेनगुप्ता ने अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच 1958-59 में खेला। वेस्टइंडीज के खिलाफ सर्विसेज के लिए एक सैन्य कैडेट के रूप में खेलते हुए उन्होंने 35 और नाबाद 100 रन बनाए। उसी सीजन में अपने पहले रणजी ट्रॉफी मैच में उन्होंने दिल्ली के खिलाफ 32 रन देकर 6 विकेट झटके। सेनगुप्ता ने फर्स्ट क्लास करियर में कुल 45 मैच खेले, जिसमें 21 विकेट लेने के अलावा 1695 रन बनाए।