फिरोजपुर के इतिहास में पहली बार, डीसीएम ग्रुप ऑफ स्कूल्स द्वारा अपनी 80वीं वर्षगांठ समारोह के उपलक्ष्य में बॉर्डर मॉडल यूनाइटेड नेशंस (एमयूएन) सम्मेलन का आयोजन किया गया। “कारगिल से सिंदूर” विषय पर आधारित इस दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य कूटनीति, सैन्य पराक्रम और वैश्विक राजनीति पर चर्चा करना था, जिसमें भारत की सशस्त्र सेनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया।
अमृतसर, फाजिल्का, गुरदासपुर, पठानकोट, श्री मुक्तसर साहिब और मोगा सहित सीमावर्ती जिलों से 500 से अधिक छात्र प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें विभिन्न विश्व नेताओं का प्रतिनिधित्व किया और कारगिल विजय तथा ऑपरेशन सिंदूर जैसे विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया।
उद्घाटन विष्णु भगवान राय बहादुर सभागार में दीप प्रज्वलन और छात्रों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ हुआ, जिसके बाद मुख्य सलाहकार अजका खान ने विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने सीमावर्ती जिले में इतने बड़े आयोजन के महत्व पर ज़ोर दिया।
डीसीएम प्रवक्ता विक्रमादित्य शर्मा ने बताया कि कक्षा 8 से 12 तक के छात्र इसमें शामिल हुए। उद्घाटन सत्र के दौरान कार्यकारी बोर्ड के सदस्यों, अध्यक्षों, उपाध्यक्षों और प्रतिवेदकों का औपचारिक परिचय कराया गया। डीसीएम समूह की वरिष्ठ निदेशक डॉ. रागिनी गुप्ता ने कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ किया।
गतिविधियों की उप प्रमुख स्तुति ने बताया कि एमयूएन के सुचारू संचालन के लिए सात समितियां बनाई गईं – संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद, विश्व स्वास्थ्य संगठन, आर्थिक और सामाजिक परिषद, लोकसभा और संयुक्त संकट समिति।
प्रत्येक समिति को एक विशिष्ट एजेंडा सौंपा गया था, जिससे प्रतिनिधियों को विभिन्न देशों और नेताओं के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने की अनुमति मिली। इसमें नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सोनिया गांधी, डोनाल्ड ट्रम्प (अमेरिका), अनुरा कुमारा दिसानायके (श्रीलंका), डॉ. सैयद अब्बास (ईरान), और मुनीर अली (पाकिस्तान) सहित कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया।
वाद-विवाद और चर्चाओं के माध्यम से, छात्रों ने वैश्विक कूटनीति, भारत की रक्षा क्षमताओं, कारगिल के दौरान भारतीय सेनाओं के पराक्रम, स्वदेशी रक्षा निर्माण और ऑपरेशन सिंदूर के महत्व जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की। इस मंच ने प्रतिभागियों को नेतृत्व क्षमता विकसित करने और अंतर्राष्ट्रीय मामलों की गहरी समझ हासिल करने में सक्षम बनाया।
अक्षिता, माधव, रोहानी, आदेशपाल, अरमान भुल्लर, यशलीन कौर, महक गुप्ता, अरुणव वशिष्ठ और बरखा मित्तल जैसे पूर्व छात्रों ने कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें एमयूएन प्रारूप के आधार पर विभिन्न भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गईं, जिससे कार्यक्रम के पेशेवर संचालन में योगदान मिला।