हिमाचल प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार राज्य के न्यायिक परिसरों में दिव्यांगजनों और ट्रांसजेंडरों के लिए शौचालयों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई है।
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने आज यहाँ बताया कि सभी लोक न्यायालयों और न्यायाधिकरण परिसरों में शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि 9 अक्टूबर तक विभाग ने शिमला, कांगड़ा, सोलन, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना, मंडी, चंबा और किन्नौर जिलों के न्यायिक न्यायालय परिसरों में 52 ऐसे शौचालयों (ट्रांसजेंडर के लिए 27 और दिव्यांगजनों के लिए 25) का निर्माण किया है।
उन्होंने बताया कि सिरमौर, कुल्लू और अन्य न्यायिक न्यायालय परिसरों में शेष 34 शौचालयों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसके अतिरिक्त, भूमि उपलब्ध होने पर इस वर्ष न्यायालय परिसरों में 13 और शौचालयों का निर्माण किया जाएगा, जिसके लिए भूमि चिन्हित करने की प्रक्रिया चल रही है।
ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 के नियम 10 (5) और 10 (9) प्रतिष्ठानों में ऐसे व्यक्तियों के लिए शौचालय सहित विशिष्ट बुनियादी ढांचे के निर्माण को अनिवार्य बनाते हैं और यह जिम्मेदारी उपयुक्त सरकार को सौंपते हैं।
न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई, जिसमें मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (वित्त), लोक निर्माण विभाग के सचिव, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सदस्य थे। इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीशों की अध्यक्षता में एक उप-समिति का गठन किया गया, जो प्रगति की निगरानी करेगी और सभी न्यायिक परिसरों में दिव्यांगजनों के लिए सुविधाओं का निर्माण कराएगी।