कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। विभिन्न विपक्षी दलों के 63 राज्यसभा सांसदों ने सोमवार को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए सभापति को प्रस्ताव का नोटिस सौंपा। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि आज विभिन्न विपक्षी दलों के 63 राज्यसभा सांसदों ने न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 के तहत न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए राज्यसभा के सभापति को प्रस्ताव का नोटिस सौंपा। न्यायमूर्ति शेखर यादव को हटाने के लिए इसी तरह का प्रस्ताव 13 दिसंबर, 2024 को राज्यसभा के सभापति को सौंपा गया था।
इससे पहले संसद के मानसून सत्र का आगाज होते ही 145 लोकसभा सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए लोकसभा स्पीकर को ज्ञापन सौंपा। सांसदों ने संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत यह कदम उठाया है।
बता दें कि 15 मार्च 2025 को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर कैश मिला था। इसके बाद न्यायमूर्ति वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उन्होंने आरोपों से इनकार किया और उसे साजिश बताया था। जले और अधजले नोटों का एक वीडियो भी बहुत वायरल हुआ था।
हालांकि, अब इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संसद इन आरोपों की जांच करेगी। महाभियोग प्रस्ताव के तहत आगे की प्रक्रिया संसद में विचार-विमर्श और जांच के बाद तय की जाएगी। इस घटना ने न्यायिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया था। इसने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को भी तत्काल कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
5 अप्रैल को जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की थी।
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