हिमाचल प्रदेश के पशुपालन विभाग ने पालमपुर क्षेत्र के जिया, कंडवारी, बंदला, उत्तरला, देओल, बीर और लोहारडी में गद्दी चरवाहों की प्रवासी भेड़-बकरियों के दवा और टीकाकरण के लिए सात डिपिंग सेंटर खोले हैं। इन केंद्रों पर प्राथमिकता के आधार पर पशुओं को डिपिंग और ड्रेंचिंग सेवाएं प्रदान की जाती हैं, साथ ही बीमार पशुओं को जीवन रक्षक/टॉनिक दवाएं भी दी जाती हैं।
इन केंद्रों से 299 गद्दी झुंडों के 1.60 लाख प्रवासी पशुओं को लाभ मिला है। यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक कि मौजूदा प्रवास अवधि के दौरान आखिरी झुंड सर्दियों के चरागाहों में नहीं चला जाता।
पशुपालन विभाग ने राज्य में गद्दी झुंडों के लिए खुरपका और मुंहपका रोग के टीके की 3.01 लाख से अधिक खुराकें खरीदी हैं। चालू वित्त वर्ष के दौरान पालमपुर क्षेत्र में लगभग 60,000 भेड़ और बकरियों को घातक संक्रामक रोगों के खिलाफ टीका लगाया गया है।
गद्दी झुंड में संदिग्ध खुरपका रोग की स्थिति को दूर करने के लिए एक विशेष अभियान भी शुरू किया गया है। गद्दी झुंड में बीमारी के मामलों में वृद्धि की रिपोर्ट के बाद प्रत्येक झुंड में प्रत्येक प्रभावित पशु की खुरपका रोग के लक्षणों और घावों के लिए सक्रिय रूप से जांच की जा रही है। अभियान के तहत कम से कम 800 ऐसे पशुओं का लंगड़ापन के लिए सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। अक्टूबर में उत्तर प्रदेश के बरेली के इज्जतनगर में स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की एक टीम ने प्रभावित झुंडों में से पांच से नमूने एकत्र किए।
प्रयोगशाला से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों की उच्च स्तरीय टीम द्वारा जांचे गए 14 पशुओं में से आठ पशुओं में डाइचेलोबैक्टर नोडोसस और फ्यूसोबैक्टीरियम संक्रमण पाया गया। इन जीवाणुओं को आमतौर पर भेड़ और बकरियों में खुरपका रोग के कारक माना जाता है। पशुपालन विभाग ने भेड़-बकरियों में लंगड़ापन को देखते हुए पिछले वित्त वर्ष के दौरान 5 लाख रुपये की एंटीबायोटिक दवाओं की विशेष खेप खरीदी थी। हिमाचल घुमंतू भेड़ पालक संघ के स्वयंसेवकों की मदद से लंगड़े पशुओं को ये विशेष चौथी पीढ़ी की एंटीबायोटिक दवाएं दी जा रही हैं। मंडी स्थित विभाग की रोग जांच प्रयोगशाला ने भी आगे की जांच के लिए नमूने एकत्र किए हैं ताकि खुरपका रोग के कारण लंगड़ापन की घटनाओं को कम करने के लिए प्रभावी तरीकों को लागू किया जा सके।
हिमाचल प्रदेश राज्य ऊन संघ लिमिटेड द्वारा विभाग को 23 लाख रुपये से अधिक की दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं। विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई इन दवाओं से कम से कम 152 गद्दी प्रवासी झुंड लाभान्वित हुए हैं।