September 22, 2024
Haryana

रोहतक की महिलाओं ने संभाली नई भूमिकाएं, लोकतंत्र के उत्सव में जोड़े रंग

रोहतक, 26 मई हरियाणा की राजनीतिक राजधानी माने जाने वाले रोहतक में 2023 में राज्य भर में सबसे कम जन्म लिंगानुपात (एसआरबी) दर्ज किया गया, जहां 1,000 पुरुषों के मुकाबले 883 महिलाओं का जन्म हुआ।

पिछले साल भी जिले के 54 गांवों में एसआरबी 800 से कम रहा। इसका कारण लड़कियों के प्रति पितृसत्तात्मक समाज का “रूढ़िवादी दृष्टिकोण” बताया जाता है। यहां लड़कियों को बोझ समझा जाता है और उन्हें अपनी योग्यता साबित करने की आजादी और अवसर नहीं दिए जाते। यही कारण है कि चुनावी और संगठनात्मक राजनीति में महिलाओं की भागीदारी न्यूनतम रही है।

लेकिन इस बार जिले की महिलाएं इस धारणा को बदलने के लिए आगे आईं और मतदान के दिन गतिविधियों में योगदान देकर लोकतंत्र के उत्सव में रंग भर दिया। उन्होंने न केवल लोगों को मतदान के लिए मतदान केंद्रों तक पहुंचाने में मदद की, बल्कि मतदाता पर्ची बनाने वाले और बूथ एजेंट की भूमिका भी निभाई। उन्होंने मतदान से पहले विभिन्न इलाकों में मतदाताओं को मतदान पर्चियां भी वितरित कीं। शनिवार को रोहतक शहर के छोटू राम स्टेडियम में लोकसभा चुनाव के लिए बनाए गए मतदान केंद्र 49, 50 और 52 का प्रबंधन करने वाली महिलाओं में नीतू रानी, ​​ज्योति, प्रोमिला और सुशीला शामिल थीं।

दिलचस्प बात यह है कि इन बूथों पर महिलाएं भी पोलिंग एजेंट थीं। नीतू (बीए एलएलबी) ने कहा, “हम शिक्षित हैं और वे सभी काम कर सकते हैं जो एक पुरुष कर सकता है। अगर महिलाएं चुनावों में अपनी-अपनी पार्टियों के लिए पोलिंग बूथ संभालती हैं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हमारा समूह शनिवार की सुबह जल्दी बूथ पर गया और मतदान खत्म होने तक काम किया। हमने काफी संख्या में मतदान पर्चियां तैयार कीं।”

पोस्टग्रेजुएट ज्योति ने कहा कि बेरोजगारी और महिलाओं की सुरक्षा देश भर में प्रमुख चिंता का विषय है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “अगर महिलाओं को पर्याप्त जिम्मेदारी मिले, तो वे इसका समाधान कर सकेंगी, इसलिए हम महिलाओं को आगे आकर राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि वे सभी बुनियादी बातें सीख सकें।”

उन्होंने दावा किया कि यह पहली बार था जब वे मतदान केंद्र प्रबंधन का हिस्सा थे। ज्योति ने कहा, “हमने बहुत कुछ सीखा है और अब हम राजनीति में शामिल होने के बारे में सोच सकते हैं।”

संगीता सेहरावत और मुकेश श्योराण उन महिला कार्यकर्ताओं में शामिल हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव में बूथ एजेंट के तौर पर काम किया। संगीता ने कहा, “सिर्फ मैं ही नहीं, बल्कि कई अन्य महिला कार्यकर्ताओं ने भी पोल एजेंट के तौर पर काम किया है, जो यह समझने के लिए काफी है कि महिलाएं भी राजनीति में अपनी हिस्सेदारी पाने के लिए उत्सुक हैं।”

मुकेश ने बताया कि महिला समूहों ने विभिन्न इलाकों में विशेष अभियान चलाया, जिसमें उन्होंने मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया, “रवीना और कई अन्य महिला कार्यकर्ताओं ने भी मतदान के दिन महिलाओं और बुजुर्ग मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक पहुंचाने में मदद की।”

भीम पुरस्कार विजेता एवं महिला कार्यकर्ता डॉ. जगमती सांगवान ने कहा कि यह एक नया चलन है, जिसमें महिलाएं राजनीति में अपना योगदान सुनिश्चित करने के लिए आगे आ रही हैं, क्योंकि वे बेरोजगारी, असुरक्षा की भावना, महंगाई और उनसे संबंधित अन्य मुद्दों से परेशान थीं।

जगमती ने कहा, “बूथ प्रबंधन और पोल एजेंट बनना निश्चित रूप से आने वाले दिनों में महिलाओं के लिए राजनीति में नेतृत्व का मार्ग प्रशस्त करेगा।”

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