पठानकोट के चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) के 250 से अधिक छात्र सोमवार को पंजाब के चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशक के कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए और अधिकारियों से उन्हें राज्य के किसी अन्य मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरित करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की।
अपने अभिभावकों के साथ आए छात्रों ने आरोप लगाया कि सीएमसी 2022 और 2021 में प्रवेश पाने वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए सुसज्जित नहीं है। उन्होंने दावा किया कि नैदानिक सामग्री की कमी के अलावा महत्वपूर्ण विषयों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भी कमी है।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन द्वारा इन कमियों को उजागर करने के बावजूद उनकी समस्याओं का समाधान करने में विफल रहा है।
2011 में अपनी स्थापना के बाद से ही चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज विवादों में घिरा रहा है। मई 2023 में, BFUHS ने 17 फरवरी 2023 को औचक निरीक्षण के दौरान कमियाँ पाए जाने के बाद सत्र 2023-2024 के लिए कॉलेज की संबद्धता अस्थायी रूप से वापस ले ली थी। कॉलेज को पिछले साल एमबीबीएस कोर्स में छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति नहीं दी गई थी क्योंकि वह संबद्धता को नियंत्रित करने वाले विभिन्न प्रावधानों का पालन करने में विफल रहा था।
इससे पहले दिसंबर 2017 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशानुसार 2014 और 2016 बैच के 249 एमबीबीएस छात्रों को राज्य के आठ मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरित किया गया था। कई कमियों और अनियमितताओं के कारण नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने इस कॉलेज को सशर्त मान्यता दी थी। इस कॉलेज को 2017 और 2018 बैच में 150 एमबीबीएस सीटों पर दाखिला देने से रोक दिया गया था।
पिछली बार इस कॉलेज में 150 एमबीबीएस सीटों पर शैक्षणिक वर्ष 2022 के लिए प्रवेश हुआ था और 2023 में कोई प्रवेश नहीं हुआ था।
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