शिमला, 24 जुलाई अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए) की हिमाचल प्रदेश समिति ने आज यहां उपायुक्त कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे और एनईईटी घोटाले की जांच की मांग की।
विरोध प्रदर्शन के दौरान एआईडीडब्ल्यूए की राज्य सचिव फालमा चौहान ने कहा कि इस घोटाले के कारण 23 लाख छात्रों का भविष्य अनिश्चित है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “प्रयोगशालाओं को निजी हाथों में सौंप दिया गया है, जिससे महिलाओं को काफी असुविधा हो रही है।”
उन्होंने कहा, “प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को जिला अस्पताल पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। पैरामेडिकल स्टाफ की कमी के कारण सरकार स्वास्थ्य सेवाएं देने में असमर्थ है। यहां तक कि जिला अस्पतालों में भी डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को उचित उपचार नहीं मिल पाता है।”
चौहान ने कहा, “सरकार स्वास्थ्य पर बजट का मात्र 1.5 प्रतिशत ही खर्च करती है, जबकि उसे इस क्षेत्र पर कम से कम 6 प्रतिशत खर्च करना चाहिए। शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने के बाद राज्य में स्कूल बंद किए जा रहे हैं।”
एसोसिएशन ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को भंग करने की भी मांग की।
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