करनाल, 22 अगस्त दलित और आदिवासी संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद का आज करनाल में कोई खास असर नहीं दिखा, क्योंकि बाजार खुले रहे। बंद का आह्वान सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के विरोध में किया गया था, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के भीतर उप-वर्गीकरण बनाने और “क्रीमी लेयर” अवधारणा को लागू करने की अनुमति दी गई थी। हालांकि, विभिन्न दलित संगठनों के लोगों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए सुरक्षा की मांग करते हुए शहर में विरोध मार्च निकाला।
उन्होंने करनाल के एसडीएम अनुभव मेहता को भारत के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें अनुरोध किया गया कि आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त के आदेश को निरस्त करने के लिए अध्यादेश जारी किया जाए। उन्होंने आरक्षण मुद्दे को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाकर विधेयक पारित करने की भी मांग की।
एसडीएम मेहता ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनका ज्ञापन उपायुक्त के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को भेज दिया जाएगा, जिसके बाद उन्होंने अपना धरना उठा लिया। प्रदर्शनकारी सदर बाजार स्थित श्री गुरु रविदास मंदिर में एकत्र हुए और वहां से कमेटी चौक, पुराना बस स्टैंड रोड, अंबेडकर चौक, महात्मा गांधी चौक और अस्पताल चौक से गुजरते हुए सेक्टर-12 की ओर मार्च निकाला।
प्रदर्शनकारी कृष्ण कुटैल ने कहा कि आरक्षण को ठीक से लागू नहीं किया गया है क्योंकि अभी भी बहुत सारे मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारी भावनाओं के खिलाफ है। हम राष्ट्रपति से इसे रद्द करने का अनुरोध करते हैं।”
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