फरीदाबाद और पलवल जिलों में आने वाले नौ विधानसभा क्षेत्रों में भले ही राजनीतिक दलों ने नए चेहरे उतारे हों, लेकिन संख्या के मामले में दिग्गज उम्मीदवारों ने उन्हें पीछे छोड़ दिया है। 13 पूर्व विधायकों और मंत्रियों के लगातार एक से अधिक बार अपनी किस्मत आजमाने के कारण राजनीतिक रणभूमि में नए चेहरों की भागीदारी उनके पुराने समकक्षों की तुलना में कम है।
इस क्षेत्र में सबसे बुजुर्ग उम्मीदवार 67 साल के हैं, जबकि सबसे युवा उम्मीदवार 30 साल के आसपास के हैं। अनुभवी उम्मीदवारों में पूर्व मंत्री मूलचंद शर्मा, बल्लभगढ़ से शारदा राठौर, पृथला विधानसभा क्षेत्र से रघुबीर सिंह तेवतिया, टेक चंद शर्मा, नयन पाल रावत, तिगांव से राजेश नागर और ललित नागर, फरीदाबाद से विपुल गोयल, एनआईटी से नीरज शर्मा और नागेंद्र भड़ाना, पलवल से करण सिंह दलाल, होडल से उदयभान और हथीन विधानसभा क्षेत्र से केहर सिंह रावत शामिल हैं।
जहां फ़रीदाबाद, एनआईटी, बडख़ल, तिगांव, बल्लभगढ़ और पृथला फ़रीदाबाद जिले का हिस्सा हैं, वहीं पलवल होडल और हथीन सीटें पलवल जिले के अंतर्गत आती हैं।
बड़खल विधानसभा क्षेत्र में सीधा मुकाबला कांग्रेस के विजय प्रताप और भाजपा के धनेश अदलखा के बीच है। विजय प्रताप 2019 में भाजपा की सीमा त्रिखा से हार गए थे। अदलखा पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।
एनआईटी विधानसभा क्षेत्र में निवर्तमान विधायक नीरज शर्मा (51) का मुकाबला भाजपा के नए उम्मीदवार सतीश फागना से है, जबकि पूर्व विधायक नागेंद्र भड़ाना इस बार भाजपा द्वारा टिकट न दिए जाने के बाद बागी हो गए हैं।
फरीदाबाद से पूर्व विधायक विपुल गोयल (52) को सत्ताधारी पार्टी ने मैदान में उतारा है। उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी लखन सिंगला (58) हैं, जो कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं और पहले दो बार हार का सामना कर चुके हैं। बल्लभगढ़ एक और सीट है, जहां पुराने और नए चेहरे चुनावी जंग में आमने-सामने हैं। निवर्तमान कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा (60) का मुकाबला कांग्रेस के पराग शर्मा (37) और कांग्रेस की बागी शारदा राठौर से है, जो निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। शारदा बल्लभगढ़ सीट से दो बार विधायक रह चुकी हैं।
जिले की चौथी सीट तिगांव में दो पुराने प्रतिद्वंद्वी हैं- भाजपा के निवर्तमान विधायक राजेश नागर और पूर्व विधायक ललित नागर। तीसरे उम्मीदवार कांग्रेस पार्टी के रोहित नागर (30) हैं, जो इन सभी में सबसे युवा हैं।
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