नई दिल्ली, 2022 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने वाले अर्शदीप सिंह पिछले दो वर्षों में 50 से अधिक टी20 खेलकर अपने आपको भारतीय टी20 टीम में स्थापित कर चुके हैं। बांग्लादेश के ख़िलाफ़ चल रही वर्तमान सीरीज़ में तो वह भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण की अगुवाई कर रहे हैं।
हालांकि बाक़ी दोनों फ़ॉर्मैट्स में अर्शदीप के लिए राह उतनी आसान नहीं है। उन्होंने 2022 से अब तक आठ वनडे ज़रूर खेले हैं, लेकिन वहां भी उनकी जगह अभी पक्की नहीं है, जबकि भारतीय टेस्ट टीम से वह अभी तक कोसों दूर हैं। उनका चयन कभी भी 15 या 16 सदस्यीय भारतीय दल में भी नहीं हुआ है। हालांकि बाएं हाथ के दुर्लभ गेंदबाज़ी कोण के कारण वह लाल गेंद की क्रिकेट में भी लगातार संभावना बने हुए हैं।
भारतीय टीम को न्यूज़ीलैड के ख़िलाफ़ तीन मैचों की घरेलू टेस्ट सीरीज़ के बाद पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना है, जहां पर भारतीय टीम कम से कम एक बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ को ज़रूर ले जाना चाहेगी। इसमें यश दयाल और अर्शदीप दो प्रमुख विकल्प हैं। दयाल को हाल ही में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ दो टेस्ट मैचों की सीरीज़ के लिए भारतीय दल में चुना गया था। हालांकि उन्हें वहां मौक़ा नहीं मिला, लेकिन वह इस रेस में फ़िलहाल आगे दिख रहे हैं।
हालांकि अर्शदीप का मानना है कि वह कभी भी लाल गेंद की क्रिकेट के लिए तैयार हैं और उन्हें जहां भी मौक़ा मिलेगा, वह भारत के लिए खेलना चाहेंगे।
बांग्लादेश के ख़िलाफ़ दिल्ली में होने वाले दूसरे टी20 से पहले मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं बस अपने खेल का मज़ा ले रहा हूं और वर्तमान में जीता हूं। मुझे नहीं पता चला कि कैसे ये पिछले दो साल बीत गए। आगे भी मुझे जहां भी मौक़े मिलेगा, मैं सभी फ़ॉर्मैट में अच्छा करना चाहता हूं।”
आईपीएल की सफलता के बाद भारतीय टीम में आए अर्शदीप को शुरुआत में सिर्फ़ टी20 गेंदबाज़ माना जा रहा था। जुलाई 2022 में जब उन्होंने अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया था, तब तक उनके नाम पंजाब के लिए सिर्फ़ छह प्रथम श्रेणी मैच थे। डेब्यू के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में व्यस्त रहने के कारण 2022-23 और 2023-24 के सीज़न के दौरान अर्शदीप को सिर्फ़ एक और दो रणजी ट्रॉफ़ी मैच खेलने को मिला।
हालांकि इस दौरान 2023 के इंग्लिश समर के दौरान उन्होंने केंट के लिए पांच काउंटी चैंपियनशिप मैच ज़रूर खेलें और फिर जब इंग्लैंड लायंस की टीम भारत आई तो वह इंडिया ए टीम का भी हिस्सा थे। पिछले महीने हुए दलीप ट्रॉफ़ी के दौरान वह इंडिया डी टीम का हिस्सा थे, जहां उन्हें इंडिया बी के ख़िलाफ़ आख़िरी मैच में एक पंजा सहित कुल नौ विकेट मिले।
अर्शदीप लाल गेंद क्रिकेट के इस अनुभव को अपने लिए बहुत उपयोगी मानते हैं। उनका मानना है कि लाल गेंद की क्रिकेट खेलने के बाद अन्य दूसरे फ़ॉर्मैट खेलने आसान हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, “लाल गेंद की क्रिकेट खेलने से आप अपने दूसरे स्किल्स को भी एक्सप्लोर कर सकते हो। आप अलग-अलग तरीक़े से विकेट ले सकते हो, दबाव को सहने की क्षमता विकसित कर सकते हो। लाल गेंद की क्रिकेट से आपको धैर्य सीखने को मिलता है। टी20 क्रिकेट में धैर्य का उतना महत्व नहीं है, वहां तो आपको यह सोचना है कि एक बल्लेबाज़ क्या कर सकता है। जब आप लाल गेंद की क्रिकेट खेलकर आते हो तो टी20 क्रिकेट आसान हो जाता है।”
हालांकि जब अर्शदीप से ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सवाल किया जाता है, तो वह मुस्कुरा देते हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग मुझे जानते हैं, उन्हें पता है कि मैं वर्तमान में रहता हूं। मेरे ज़िंदगी का मंत्र ही है वर्तमान का लुत्फ़ उठाना। जैसे- आज मेरे आराम का दिन है, तो मैं आज आराम का लुत्फ़ उठाऊंगा। कल का कल देखेंगे।”
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