जगाधरी के उप-मंडल अस्पताल में 88 पद रिक्त होने के कारण संस्थान को लंबे समय से डॉक्टरों सहित स्टाफ की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। केवल 46 प्रतिशत क्षमता के साथ, अस्पताल में स्वीकृत 164 कर्मचारियों के मुकाबले केवल 76 कर्मचारी ही कार्यरत हैं।
पंजाब के संगरूर के अधिवक्ता कमल आनंद द्वारा पिछले महीने मांगी गई आरटीआई जानकारी के अनुसार, उप चिकित्सा अधीक्षक के दो पद हैं, लेकिन एक खाली है। चिकित्सा अधिकारी के स्वीकृत 42 पदों में से केवल 11 पद भरे हुए हैं और 31 खाली पड़े हैं। नर्सिंग अधिकारियों के 38 पद हैं। इनमें से 33 पद भरे हुए हैं और पांच पद खाली पड़े हैं।
फार्मेसी अधिकारी के कुल आठ स्वीकृत पदों के मुकाबले चार पद रिक्त पड़े हैं। कुछ विभागों में तो एक भी कर्मचारी नहीं है। अस्पताल में प्लास्टर टेक्नीशियन (एक स्वीकृत पद), वरिष्ठ फार्मेसी अधिकारी (एक स्वीकृत पद), फिजियोथेरेपिस्ट (दो स्वीकृत पद) या मुख्य नर्सिंग अधिकारी (एक स्वीकृत पद) नहीं है।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, वरिष्ठ दंत शल्य चिकित्सक (एक स्वीकृत पद), वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (तीन स्वीकृत पद), दंत शल्य चिकित्सक (दो स्वीकृत पद), सहायक (एक स्वीकृत पद) और मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट (10 स्वीकृत पद) के सभी पद भरे हुए हैं और कोई भी पद रिक्त नहीं है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि कई मामलों में मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है, क्योंकि इस अस्पताल में स्टाफ की कमी है तथा कई पद रिक्त हैं।
इस अस्पताल की औसत दैनिक ओपीडी संख्या 800 है।
जगाधरी के उप-मंडल नागरिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुज मंगला ने कहा कि उनके पास स्टाफ की कमी है, लेकिन वे उपलब्ध कर्मचारियों के साथ काम चला रहे हैं, ताकि किसी भी मरीज को इलाज कराने में कोई असुविधा न हो।
जगाधरी के सब-डिवीजनल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुज मंगला ने बताया, “लेबर रूम में हमारे पास केवल दो डॉक्टर हैं, लेकिन हम प्रतिनियुक्ति पर दो और डॉक्टरों की सेवाएं ले रहे हैं, ताकि अस्पताल में प्रसव कार्य प्रभावित न हो। इसी तरह, हम अन्य विभागों में भी काम का प्रबंधन कर रहे हैं।”
Leave feedback about this