अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की राज्य इकाई ने राज्य सरकार पर अपने लाभ के लिए शैक्षणिक संस्थानों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है।
शनिवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एबीवीपी की राज्य पदाधिकारी नैंसी अट्टल ने कहा कि सरकार सरदार पटेल विश्वविद्यालय, मंडी के अधिकार क्षेत्र को कम कर रही है और विश्वविद्यालय भवनों को निजी कॉलेजों को सौंपने का प्रयास कर रही है, जिससे सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली कमजोर हो रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
उन्होंने कहा, “विश्वविद्यालय की इमारतों के निर्माण के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है, जिससे छात्रों को काफी असुविधा हो रही है।” उन्होंने कहा कि एबीवीपी राज्य सरकार से राज्य के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि संगठन ने नई शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन का भी आह्वान किया है।
उन्होंने कहा, “एबीवीपी सरकार से राज्य में बढ़ते नशे के खतरे को रोकने के लिए उचित कार्रवाई करने की मांग कर रही है। राज्य भर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में छात्र नशे की लत के शिकार हो रहे हैं, जिसके कारण वे चोरी और हिंसा जैसे छोटे-मोटे अपराधों में भी लिप्त हो रहे हैं। इतना ही नहीं, कई युवा नशे की लत के कारण अपनी जान भी गंवा चुके हैं। राज्य सरकार को नशे के दुरुपयोग को खत्म करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है।”
एबीवीपी ने मांग की है कि राज्य सरकार उसके द्वारा उठाए गए मुद्दों का शीघ्र समाधान करे, अन्यथा वह निकट भविष्य में राज्य सरकार के खिलाफ एक जन आंदोलन शुरू करेगी।
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