नई दिल्ली, 23 दिसंबर । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने सोमवार को आईएएनएस से खास बातचीत में केंद्रीय गृह मंत्रालय से गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की झांकी को अस्वीकार करने, दिल्ली विधानसभा चुनाव और रोहिंग्या के मुद्दे पर अपनी बातें रखी।
उन्होंने कहा, “गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की झांकी के अस्वीकार होने के पीछे के कारणों के बारे में हमें नहीं पता है। इसके पीछे कोई राजनीतिक हाथ हो सकता है। मुझे लगता है कि इसके पीछे भाजपा का हाथ हो सकता है, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि वे ऐसे राज्यों की झांकियों को अनुमति नहीं देते, जहां विपक्षी दल की सरकार हो। दिल्ली सरकार की तरफ से झांकी को अस्वीकार किए जाने के बाद सवाल उठ रहा है कि दिल्ली सरकार अगर झांकी बनाती तो उसमें क्या दिखाया जाता। गणतंत्र दिवस पर झांकी का उद्देश्य देश के सांस्कृतिक धरोहर, विकास और उपलब्धियों को प्रदर्शित करना होता है। लेकिन, वर्तमान में दिल्ली की स्थिति को देखते हुए सवाल उठते हैं कि क्या दिल्ली सरकार अपनी नाकामी और बदहाल स्थिति को झांकी के रूप में दिखाएगी।”
उन्होंने दिल्ली के प्रदूषण को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) पर निशाना साधते हुए कहा, “आज दिल्ली की हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि लोग सांस भी नहीं ले पा रहे हैं। दिल्ली की सड़कों की हालत खस्ता है और अस्पतालों की कमी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। शिक्षा की स्थिति भी ठीक नहीं है। दिल्ली में यमुना नदी का हाल भी बहुत खराब है। इन सारी समस्याओं के बावजूद, अगर दिल्ली सरकार अपनी झांकी में उपलब्धियों का प्रदर्शन करती, तो उसे आलोचना का सामना करना पड़ता।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर केजरीवाल मुख्यमंत्री बनने के बाद भी निर्धारित शर्तों का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें फिर से जेल भेजा जा सकता है। इससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है और यह दिल्ली के विकास में बाधा डाल सकता है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ सालों में दिल्ली में हालत बिगड़ी हैं, खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रदूषण के मोर्चे पर, अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्ली की जनता का समर्थन जुटाना मुश्किल हो सकता है।”
उन्होंने रोहिंग्या मुद्दे को लेकर कहा, “दिल्ली में बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों का मुद्दा भी उठ रहा है। यह मुद्दा भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच एक रणनीतिक विवाद बन चुका है। सवाल यह है कि ये प्रवासी दिल्ली में कैसे आ रहे हैं। दोनों दलों को समाधान ढूंढना चाहिए। दिल्ली सरकार के पास पर्याप्त अधिकारियों का नेटवर्क है, जो इन मुद्दों पर कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।”
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