January 9, 2025
Haryana

अवैज्ञानिक तरीके से कचरा फेंकने पर जुर्माना, कचरा प्रबंधन पर 7.14 करोड़ रुपये खर्च करेगी नगर निगम

Fine for unscientific dumping of garbage, Municipal Corporation will spend Rs 7.14 crore on garbage management

औरंगाबाद गांव में एक भूखंड पर अवैज्ञानिक तरीके से कचरा डालना यमुनानगर-जगाधरी नगर निगम को महंगा पड़ गया, क्योंकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उस पर 7.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।

अब नगर निगम ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करने के लिए योजना तैयार की है।

जिले के दामला गांव निवासी सुमित सैनी ने 2022 में एनजीटी में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि नगर निगम के कचरे के डंपिंग से क्षेत्र में गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं पैदा हो रही हैं।

उनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एनजीटी ने 24 मई, 2022 को एक समिति गठित की, जिसने उसी वर्ष 27 जुलाई को औरंगाबाद गांव में इस अस्थायी लैंडफिल डंपिंग स्थल का दौरा किया।

समिति ने पाया कि साइट को नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2016 के अनुसार विकसित नहीं किया गया था, और एमसी ने वहां ठोस अपशिष्ट का अवैज्ञानिक और अवैध डंपिंग शुरू कर दिया था।

हालांकि, यमुनानगर के नगर आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद आयुष सिन्हा ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और संबंधित अधिकारियों को 2022 में ही उक्त अस्थायी डंपिंग साइट पर ठोस कचरा फेंकना बंद करने को कहा।

बाद में, एनजीटी ने 21 फरवरी, 2023 को एक आदेश पारित किया, जिसमें हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के अधिकारियों को एमसी पर पर्यावरणीय मुआवजा लगाने के लिए कार्यवाही शुरू करने को कहा गया।

एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी वीरेंद्र सिंह पुनिया ने बताया कि नगर निगम पर वर्ष 2023 के लिए 7.14 करोड़ रुपये की राशि लगाई गई है और अब इस राशि का उपयोग कैल गांव में स्थित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र को सुदृढ़ करने तथा पौधारोपण जैसे पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अन्य कार्यों के लिए किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि नवंबर में एचएसपीसीबी और एमसी के अधिकारियों ने एक बैठक कर इस बात पर चर्चा की थी कि इस राशि का उपयोग कहां किया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि बैठक के बाद उन्होंने कैल गांव में प्लांट स्थल का दौरा किया ताकि यहां ठोस अपशिष्ट प्रणाली को सुदृढ़ करने की योजना तैयार की जा सके।

पुनिया ने कहा, “अब नगर निगम इस राशि से किए जाने वाले कार्यों की योजना तैयार करेगा। वे हमें अपनी योजना देंगे और हम उनकी योजना को मंजूरी के लिए सरकार के उच्च अधिकारियों के पास भेजेंगे।”

सुमित सैनी के प्रयास सफल रहे और औरंगाबाद तथा कुछ अन्य पड़ोसी गांवों के निवासियों को उक्त स्थल से आने वाली दुर्गंध से छुटकारा मिल गया।

सैनी ने कहा, “एमसी अधिकारियों को औरंगाबाद गांव की डंपिंग साइट को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा। एनजीटी के आदेश पर कार्रवाई करते हुए एचएसपीसीबी ने एमसी पर 7.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।”

उन्होंने कहा, “अब मैंने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर इस मामले के संबंध में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।”

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