नाबार्ड ने आज यहां आयोजित राज्य ऋण संगोष्ठी में हिमाचल प्रदेश के लिए 42,243.83 करोड़ रुपये की ऋण क्षमता का अनावरण किया। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना द्वारा उद्घाटन किए गए इस कार्यक्रम में नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक विवेक पठानिया और आरबीआई के उप महाप्रबंधक पीतांबर अग्रवाल तथा राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक प्रदीप आनंद केशरी सहित प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया।
अपने स्वागत भाषण में पठानिया ने राज्य के आर्थिक विकास में नाबार्ड की भूमिका पर प्रकाश डाला, जिसमें कृषि और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बैंकों और राज्य सरकार को 4,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है। उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विकास और कांगड़ा के डगवार में 1.5 एलएलपीडी दूध संयंत्र की स्थापना के लिए नाबार्ड की नई पहल पर प्रकाश डाला, जिसका उद्घाटन आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने किया।
पठानिया ने सहकारी समितियों के आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार के साथ नाबार्ड के सहयोग के बारे में भी बात की, जिसके तहत चरण 1 में 870 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को कम्प्यूटरीकृत किया गया है और चरण 2 के लिए 919 अन्य निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने वित्तीय साक्षरता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि 5,500 से अधिक डिजिटल साक्षरता शिविरों का आयोजन किया गया है, साथ ही माइक्रो एटीएम और पीओएस मशीनों की स्थापना की गई है और वित्तीय समावेशन निधि से वित्त पोषित ब्लॉक स्तर पर 20 वित्तीय साक्षरता केंद्रों (सीएफएल) को समर्थन दिया गया है।
इस बीच, मुख्य सचिव ने ग्रामीण विकास के लिए बैंकों के महत्व पर जोर देते हुए ऋण प्रवाह को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, जहाँ 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और कृषि आर्थिक रीढ़ है। सक्सेना ने क्षेत्र के परिवर्तन को गति देने के लिए कृषि में “हरित क्रांति” का आह्वान किया।
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