मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू द्वारा कांगड़ा जिले के इस शीतकालीन प्रवास को समाज के वंचित एवं कम भाग्यशाली वर्ग, विशेषकर स्कूली विद्यार्थियों, जिनसे उनकी मुलाकात स्कूल परिसर में या सड़क मार्ग से होते हुए हुई, तक व्यक्तिगत रूप से पहुंचने के लिए एक यात्रा के रूप में भी याद किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने जवाली और बाद में नूरपुर निर्वाचन क्षेत्र के दौरे के दौरान युवाओं से मिलने, उनसे व्यक्तिगत रूप से बातचीत करने तथा उनके हालचाल जानने या जिस शिक्षण संस्थान में वे अध्ययन कर रहे थे, वहां के बौद्धिक स्वास्थ्य के बारे में जानने का कोई मौका नहीं गंवाया।
धर्मशाला में, सीएम ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस सत्र में बिलासपुर के अपराजिता बाल आश्रम के 17 “राज्य के बच्चों” के साथ शैक्षिक और मनोरंजक दौरे पर बातचीत की। उन्होंने वाघा सीमा और स्वर्ण मंदिर में उनके अनुभव को सुनते हुए, उनका हालचाल पूछा।
‘बालिका दिवस’ पर धर्मशाला में राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय (जीएसएसएस) की 351 छात्राओं से बातचीत करने के बाद उन्होंने प्रत्येक छात्रा को 1,000 रुपये का उपहार देने की घोषणा कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया, जो कि संभवत: हाल के दिनों में जिले में अपनी तरह की पहली घोषणा है।
उन्हें शहर की नब्ज टटोलने के लिए लोगों से संपर्क करते देखा गया। शाम को अनौपचारिक सैर के दौरान उन्होंने सड़क किनारे सामान बेचने वालों से बातचीत की और उनकी परेशानियों के बारे में पूछा। एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें उन्होंने अनाथ बहनों से न केवल फल खरीदे, बल्कि उनकी शिकायतें भी सुनीं। बाद में, पूरा समूह शाम को एक कप चाय पर बैठकर गपशप करता रहा।
हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने 6,000 से ज़्यादा अनाथ बच्चों को “राज्य के बच्चे” घोषित किया है। मुख्यमंत्री पद संभालने के तुरंत बाद ही उन्होंने राज्य भर में उनके लाभ के लिए “मुख्यमंत्री सुखश्रय योजना” की घोषणा की थी।
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