नई दिल्ली, भारत ने मंगलवार को श्रीलंकाई उच्चायुक्त को तलब किया। नई दिल्ली ने डेल्फट द्वीप के पास 13 भारतीय मछुआरों को पकड़ने के दौरान श्रीलंकाई नौसेना द्वारा की गई गोलीबारी की घटना पर कड़ा विरोध दर्ज कराया।
विदेश मंत्रालय ने श्रीलंका के कार्यवाहक उच्चायुक्त प्रियंगा विक्रमसिंघे को तलब किया। कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने भी इस मामले को श्रीलंका के विदेश मंत्रालय के सामने उठाया।
भारत सरकार ने बताया कि मछली पकड़ने वाली नाव पर सवार 13 मछुआरों में से दो गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिनका इलाज जाफना टीचिंग अस्पताल में चल रहा है। तीन अन्य मछुआरों को मामूली चोटें आईं हैं। भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारी अस्पताल जाकर घायल मछुआरों से मिले और उन्हें हर संभव मदद देने का वादा किया। गिरफ्तार किए गए मछुआरे तमिलनाडु के रामेश्वरम और पुदुकोट्टई के हैं। इन्हें जाफना ले जाया गया, जहां उन्हें न्यायिक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उनकी मशीनीकृत मछली पकड़ने वाली नाव भी जब्त कर ली गई।
पिछले तीन दिनों में श्रीलंकाई अधिकारियों ने 47 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया है और तीन मशीनीकृत नावें भी जब्त की हैं। यह स्थिति मछुआरा समुदाय के लिए बड़ी समस्या बन गई है, खासकर पाक खाड़ी क्षेत्र में, जहां मछुआरे अक्सर हिरासत में लिए जाते हैं। भारत सरकार ने हमेशा मछुआरों से जुड़े मुद्दों को मानवीय तरीके से सुलझाने की बात की है, जिसमें उनकी आजीविका के मुद्दों को ध्यान में रखा गया है।
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी परिस्थिति में ताकत का प्रयोग स्वीकार्य नहीं है और दोनों देशों के बीच मौजूदा समझौतों का पालन किया जाना चाहिए।
यह मुद्दा तब भी उठाया गया था, जब श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके ने भारत का दौरा किया था। बावजूद इसके, मछुआरों की गिरफ्तारियां जारी हैं, जिससे मछुआरों में निराशा और डर का माहौल है।
जून 2024 से अब तक श्रीलंकाई नौसेना ने तमिलनाडु के 425 मछुआरों को हिरासत में लिया है और 58 मछली पकड़ने वाली नौकाओं को जब्त किया है। मछुआरा समुदाय का कहना है कि सरकार को इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान खोजना चाहिए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीएमके अध्यक्ष अंबुमणि रामदास ने सरकार से आग्रह किया कि वह मछुआरों के हितों की रक्षा करें और भविष्य में होने वाली गिरफ्तारियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं।
इस स्थिति से यह भी साफ है कि भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा विवादों को सुलझाने के लिए एक समन्वित कूटनीतिक प्रयास की आवश्यकता है, ताकि मछुआरे अपनी पारंपरिक आजीविका को बिना किसी डर या अनिश्चितता के जारी रख सकें।
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