February 1, 2025
Uttar Pradesh

प्रयागराज की भीड़ में फंसे श्रद्धालुओं के लिए देवदूत बनी स्कूल संचालिका

School director becomes angel for devotees trapped in crowd of Prayagraj

महाकुंभ नगर, 01 फ़रवरी । उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में मौनी अमावस्या के पर्व के बाद से करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं। लेकिन मौनी अमावस्या के दिन बहुत अधिक भीड़ हो जाने के कारण पूरे शहर में लोग जमा हो गए। स्नान के बाद लौटते समय श्रद्धालु जहां भी जगह मिली, वहीं रुककर बैठ गए या लेट गए। मेले से लेकर शहर भर में यही स्थिति रही। सड़कें, गलियां, मोहल्ले, हर जगह श्रद्धालु पन्नी या चादर बिछाकर लेटे थे। स्थिति इतनी खराब हो गई कि लोग सड़कों पर ही सोने को मजबूर हो गए। इन सब के बीच एक स्कूल संचालिका इन बेसहारा लोगों के लिए देवदूत बनकर आई और उन्हें रहने को जगह दी और खाने, पीने की सुविधा मुहैया कराई।

स्कूल का संचालन करने वाली मौली खन्ना ने बताया, “29 जनवरी को मौनी अमावस्या वाले दिन बहुत अधिक भीड़ थी। उस दिन भीड़ की वजह से स्टेशन का रास्ता बंद किया जा रहा था। ये लोग बहुत परेशान हो रहे थे और सड़कों पर सो जा रहे थे। इसके बाद हम लोग इन लोगों को स्कूल में ले आए। यहां इनकी सेवा की। इनको खाना पीना और जरूरत की अन्य चीजें मुहैया कराई। यह लोग हमारे परिवार जैसे ही हैं।”

कुंभ स्नान के लिए आईं भागवती ने बताया, “यह लोग हमारी बहुत अच्छी देखरेख कर रहे हैं। हम लोग सड़क पर सो रहे थे। इसे देख स्थानीय लोग और हमें सड़क से उठाकर स्कूल ले आए। हम लोगों के रुकने की व्यवस्था की। खाना दिया। अब हम यहां आराम से रह रहे हैं। यहां भीड़ बहुत है। ये लोग बोल रहे हैं कि जब तक भीड़ खत्म न हो, हम यहां रह सकते हैं। हमें यहां घर जैसा ही लग रहा है। हम कुल 22 लोग हैं।”

इरौनी प्रमाणिक ने बताया, “हम लोग 29 जनवरी को संगम से नहा के घर जाने के लिए निकले थे। सड़क पर बहुत जाम था। इसलिए थक कर हम लोग होटल की तलाश कर रहे थे। तभी कुछ स्थानीय लोग मिले। वे लोग हमें स्कूल में ले आए। यहां के लोग बहुत अच्छे हैं। हमें यह नहीं लग रहा है कि हम घर से बाहर हैं। हमें अपने घर जैसा लग रहा है।”

मुंबई के कल्याण से आईं ज्योत्सना नायडू ने बताया, “मैं यहां 26 जनवरी से आई हूं। 26, 27 को स्नान हुआ। 28 जनवरी को मैंने आराम किया। मैं अभी प्रयागराज स्टेशन के पास एक स्कूल में रुकी हूं। यहां के लोग मेरे भाई-बहन जैसे हैं। यह लोग बहुत मददगार हैं। मैं इनका शुक्रिया अदा करती हूं।”

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