श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष नरदेव कंवर ने घोषणा की कि पिछले वर्ष कांगड़ा जिले में श्रमिकों के कल्याण के लिए 4.25 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। धर्मशाला, धीरा और जमनाबाद में सभाओं को संबोधित करते हुए कंवर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सबसे गरीब समुदायों के उत्थान के दृष्टिकोण के अनुरूप मनरेगा और निर्माण श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए बोर्ड की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
धर्मशाला में मनरेगा महिला श्रमिकों के साथ बातचीत के दौरान कंवर ने बताया कि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत लाभार्थियों को 60 लाख रुपये वितरित किए गए हैं। धर्मशाला के कोतवाली में एक जागरूकता कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि बोर्ड श्रमिकों की सहायता के उद्देश्य से 13 विभिन्न योजनाएं संचालित करता है।
23 फरवरी को धीरा में एक बैठक में कंवर ने कहा कि कांगड़ा में 60,000 पंजीकृत श्रमिक इन योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने दो बच्चों की शादी के लिए 51,000 रुपये, मातृत्व और पितृत्व लाभ और आश्रितों के लिए 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक की चिकित्सा सहायता सहित वित्तीय सहायता का ब्यौरा दिया। इसके अलावा, श्रमिकों के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से लेकर पीएचडी तक की वित्तीय सहायता 8,400 रुपये से लेकर 1.2 लाख रुपये तक की राशि के साथ दी जाती है। 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 1,000 रुपये प्रति माह की पेंशन प्रदान की जाती है, साथ ही विकलांग श्रमिकों के लिए 500 रुपये मासिक पेंशन भी दी जाती है।
कांगड़ा के जमनाबाद में बोलते हुए कंवर ने मनरेगा मजदूरों से आग्रह किया कि वे लाभ प्राप्त करने के लिए बोर्ड में पंजीकरण करवाएं। उन्होंने आश्रितों के लिए 2-4 लाख रुपये की मृत्यु सहायता, 10 लाख रुपये की बेटी जन्म उपहार योजना, दो बेटियों के जन्म पर 51,000 रुपये और विकलांग बच्चों की देखभाल के लिए सालाना 20,000 रुपये जैसी योजनाओं का उल्लेख किया।
कंवर ने श्रम कल्याण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे गांव स्तर पर जागरूकता बढ़ाएं ताकि अधिक से अधिक पात्र श्रमिकों को इन योजनाओं का लाभ मिल सके। 18 से 60 वर्ष की आयु का कोई भी व्यक्ति जिसने पिछले वर्ष 90 दिन का निर्माण कार्य पूरा किया हो, इन लाभों के लिए पात्र है
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