हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने आज श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के स्नातक विद्यार्थियों से विश्व में आयुष का ब्रांड एंबेसडर बनने का आह्वान किया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि आप दुनिया में आयुष के ब्रांड एंबेसडर बनें और औषधीय पौधों के क्षेत्र में अनुसंधान भी करते रहें।’’
उन्होंने कहा, “डिग्रियां प्राप्त करने वाले डॉक्टर अब भारत की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति को पूरी दुनिया में फैलाएंगे। इस प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति की आज पूरी दुनिया में स्वास्थ्य क्षेत्र में मांग है। इतना ही नहीं, आने वाले भविष्य में आयुर्वेद के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।”
इससे पहले राज्यपाल ने 9.5 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम हॉल का उद्घाटन किया।
राज्यपाल के साथ आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा, वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा और श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर करतार सिंह धीमान भी थे।
वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि प्रदान की गई। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह की स्मारिका का विमोचन भी किया।
राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि आयुर्वेद का चिकित्सा पद्धतियों में महत्वपूर्ण स्थान है। प्राचीन काल में इस पद्धति से उपचार किया जाता था, लेकिन बाद में आयुर्वेद का प्रचलन कम हो गया। पहले इस पर ध्यान नहीं दिया जाता था, लेकिन केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति को महत्व मिलना शुरू हो गया है।
उन्होंने कहा, “प्राचीन चिकित्सा पद्धति के उत्थान के लिए कुरुक्षेत्र में देश का पहला श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय स्थापित किया गया। विश्वविद्यालय ने लगभग 100 एकड़ भूमि अधिग्रहित की है, जो इसके भविष्य के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस भूमि पर आधुनिक भवन, शिक्षण सुविधाएं और अनुसंधान केंद्रों का निर्माण जल्द ही शुरू हो जाएगा।”
राज्यपाल ने कहा, “यह विश्वविद्यालय शिक्षा, शोध, नवाचार और समाज सेवा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहा है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ पारंपरिक चिकित्सा सिखाने के लिए विश्वविद्यालय ने जो मॉडल अपनाया है, वह अनुकरणीय है। यहां किए गए शोध कार्यों ने आयुर्वेद, योग और होम्योपैथी के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। आयुर्वेदिक दवाओं की प्रभावशीलता पर किए गए शोध कार्यों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली है।”
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