चंडीगढ़, 26 अप्रैल, 2025: सभी हितधारक विभागों के बीच समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर जोर देते हुए, पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने शनिवार को इस वर्ष डेंगू के मामलों में 80 प्रतिशत कमी लाने के लिए सार्वजनिक जागरूकता, सख्त प्रवर्तन और बेहतर स्वास्थ्य सेवा तत्परता को मिलाकर एक बहुआयामी रणनीति का अनावरण किया।
स्वास्थ्य मंत्री ने इस मौसम में डेंगू को नियंत्रित करने के लिए सरकार की पहल का खुलासा करते हुए कहा, “जिला अस्पतालों, उप-मंडल अस्पतालों, सीएचसी, ईएसआई अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में मच्छरदानी के साथ समर्पित डेंगू बेड आवंटित किए गए हैं, जबकि 881 आम आदमी क्लीनिकों सहित सभी सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में डेंगू और मलेरिया के लिए परीक्षण और उपचार मुफ्त रहेगा।”
शनिवार को पंजाब भवन में वेक्टर जनित बीमारियों पर राज्य टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने घोषणा की कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा शुरू की गई ‘हर शुक्रवार डेंगू ते वर’ मुहिम 1 मई से शुरू की जाएगी।
उन्होंने डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया पर नियंत्रण के लिए मजबूत रणनीति के महत्व पर भी जोर दिया, साथ ही सभी हितधारक विभागों को अपने प्रयासों को बढ़ाने और इन वेक्टर जनित रोगों को रोकने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान शुरू करने का निर्देश दिया।
एक महत्वपूर्ण कदम पर प्रकाश डालते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने घोषणा की कि पंजाब में डेंगू एक अधिसूचित बीमारी है और निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में डेंगू परीक्षण की कीमत राज्य भर में 600 रुपये तक सीमित कर दी गई है, जिससे इस महत्वपूर्ण सेवा तक सस्ती पहुंच सुनिश्चित हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों को रेखांकित करते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि 50,000 नर्सिंग स्टाफ और 50,000 पैरामेडिकल स्टाफ को मच्छरों के लार्वा प्रजनक जांचकर्ता के रूप में प्रशिक्षित किया गया है और वे संबद्ध विभागों के अधिकारियों को लार्वा, प्रजनन स्थलों आदि की पहचान करने के बारे में प्रशिक्षित करेंगे।
बैठक के दौरान डॉ. बलबीर सिंह ने डेंगू से निपटने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा की जा रही गतिविधियों की भी समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए डेंगू और मलेरिया दोनों पर नियंत्रण के लिए ठोस प्रयास करें।
‘हर शुक्रवार डेंगू ते वर’ अभियान की प्रभावशीलता की सराहना करते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने कहा, “इस जागरूकता अभियान ने पिछले साल उल्लेखनीय परिणाम दिए हैं, डेंगू के मामलों में 50 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि डेंगू से संबंधित मौतों में 66 प्रतिशत की भारी कमी आई। इसके अलावा, 2024 में मलेरिया से संबंधित कोई मौत नहीं हुई।”
निवारक उपायों का विस्तार करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि स्कूलों में विशेष जागरूकता शिविरों का आयोजन करके स्कूली बच्चों और शिक्षकों को सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा। इन शिविरों में उन्हें विभिन्न वेक्टर जनित बीमारियों के खिलाफ निवारक कदमों के बारे में शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग को स्कूल परिसरों, विशेषकर शौचालयों, मध्याह्न भोजन रसोई और ऊपरी पानी की टंकियों के आसपास जमा पानी को हटाने का भी निर्देश दिया।
प्रभावी सूचना प्रसार सुनिश्चित करने के लिए, डॉ. बलबीर सिंह ने विभाग के अधिकारियों को जन शिक्षा और मीडिया विंग की सेवाओं का उपयोग करके एक स्पष्ट संचार चैनल स्थापित करने का निर्देश दिया।
इससे आशा कार्यकर्ताओं, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति के सदस्यों तथा अन्य हितधारक विभागों को स्वास्थ्य-विशिष्ट जानकारी का प्रवाह सुगम हो जाएगा, जिससे सरकारी पहलों का बेहतर कार्यान्वयन हो सकेगा।
डॉ. बलबीर सिंह ने लोगों से अपील की कि वे अपने घरों में और आसपास पानी जमा न होने दें और मच्छरों के पनपने को रोकें। उन्होंने नागरिकों से यह भी आग्रह किया कि यदि उन्हें कोई लक्षण महसूस हो तो वे तुरंत सरकारी अस्पताल जाएं और डेंगू और मलेरिया की जांच करवाएं।
एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू पर बोलते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने जल सप्लाई एवं सेनिटेशन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य भर में जल शुद्धिकरण के लिए स्थापित रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) सिस्टम में किसी भी प्रकार की खराबी आने पर उसे तुरंत ठीक किया जाए।
राज्य कार्यक्रम अधिकारी (राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम) डॉ. अर्शदीप कौर ने वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए किए गए कार्यों का अवलोकन प्रस्तुत किया तथा स्वास्थ्य विभाग की भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की।
बैठक में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य कुमार राहुल, विशेष सचिव स्वास्थ्य-सह-एमडी एनएचएम घनश्याम थोरी, निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. हितिंदर कौर, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं (परिवार कल्याण) डॉ. जसमिंदर, डीआरएमई डॉ. अवनीश कुमार, और ग्रामीण विकास एवं पंचायत, राज्य परिवहन, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान, स्कूल शिक्षा, श्रम, जल आपूर्ति एवं स्वच्छता, और वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सहित प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे।
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