May 24, 2025
National

वक्फ पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हैं, अब खेती कर सकेंगे किसान: सनवर पटेल

We welcome the decision of Madhya Pradesh High Court on Waqf, now farmers will be able to do farming: Sanwar Patel

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने वक्फ कृषि भूमि की लीज नीलामी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए वक्फ बोर्ड की प्रकिया को वैध ठहराया है। हाईकोर्ट के इस फैसले पर मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने खुशी जताई है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए सनवर पटेल ने कहा, “मध्यप्रदेश संभवत: देश का पहला राज्य बन गया है जहां वक्फ से संबंधित संपत्तियों के लिए बनाई गई सरकार की नीति को हाईकोर्ट ने वैधता प्रदान की है। हम उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। लंबे समय से जो लोग संपत्तियों पर कब्जा करके बैठे थे और उससे होने वाली आय से अपनी जेब भरने का काम करते थे, अब यह सब बंद हो जाएगा।”

सनवर पटेल ने कहा, “इस प्रकार के निर्णय हमें ताकत देते हैं और हमें प्रमाणिकता मिलती है कि हमारे काम वैधानिक हैं। संपत्तियों पर वक्फ की आड़ में कब्जा करके बैठे भूमाफियों के लिए यह एक सबक है। इस फैसले के खिलाफ कई गुमनाम याचिकाएं लगाई गई थीं। यह काम सिर्फ लोगों को गुमराह करने के लिए चंद एजेंसियां करती रही हैं। नया वक्फ कानून पारदर्शिता के लिए है। परोपकार पर खर्च के लिए है। कोर्ट का यह निर्णय बेहद परोपकारी होने वाला है।”

पटेल ने आगे कहा, “इस फैसले के बाद ‘मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड’ अपनी वैधानिक संपत्तियों को किसानों के लिए खोल रहा है। किसानों को भारत सरकार के पट्टा नियम के अनुसार पूरी पारदर्शिता के साथ कृषि कार्य हेतु भूमि लीज पर दी जाएगी। इससे वक्फ बोर्ड को उचित आय होगी। उस आय को दानदाताओं की मंशा के अनुसार जनकल्याण पर खर्च किया जाएगा और गरीबों के उत्थान के लिए काम कर पाएंगे। यही वक्फ का उद्देश्य है।”

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने वक्फ कृषि भूमि की लीज नीलामी प्रक्रिया को वैध घोषित करते हुए इसके खिलाफ दायर की गई याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अमीर आजाद अंसारी व अन्य द्वारा दायर याचिका में दो मुख्य आपत्तियां उठाई गई थीं। पहली, कि आदेश पर हस्ताक्षर करने वाली डॉ. फरजाना गजाल पूर्णकालिक सीईओ नहीं हैं और दूसरी कि नीलामी का अधिकार केवल मुतवल्ली को है। कोर्ट ने दोनों तर्कों को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि, डॉ. गजाल की नियुक्ति वक्फ अधिनियम की धारा 23 के अनुरूप है। उनकी नियुक्ति में ‘अस्थायी’ शब्द उनके निर्धारित कार्यकाल को दर्शाता है। इससे उनकी वैधता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

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