June 30, 2025
National

पद्म श्री से सम्मानित मणिपुरी शास्त्रीय नृत्यांगना सूर्यमुखी देवी का निधन

Padma Shri awarded Manipuri classical dancer Suryamukhi Devi passed away

प्रसिद्ध मणिपुरी शास्त्रीय नृत्यांगना और पद्म श्री से सम्मानित थियाम सूर्यमुखी देवी ने लंबी बीमारी के बाद रविवार को इम्फाल पश्चिम जिले के कैशमपट स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली।

सूर्यमुखी देवी 85 वर्ष की थीं और अविवाहित थीं। इस साल 113 लोगों को पद्म श्री सम्मान दिया गया था, जिसमें वह भी शामिल थीं। वह खराब स्वास्थ्य की वजह से यह सम्मान प्राप्त करने के लिए 27 मई 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकी थीं।

मणिपुर के मुख्य सचिव प्रशांत कुमार सिंह ने शनिवार को इम्फाल स्थित सूर्यमुखी देवी के आवास पर पहुंचकर औपचारिक रूप से उन्हें पद्म श्री पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र सौंपा था।

इम्फाल पश्चिम जिले के कैशमपट लेइमाजम लेइकाई में जन्मी और पली-बढ़ीं सूर्यमुखी देवी ने हाल ही में मीडिया को बताया था कि उनके परिवार के सदस्यों और स्थानीय बुजुर्गों के प्रभाव के कारण ही शास्त्रीय नृत्य के प्रति उनमें जुनून पैदा हुआ।

तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी सूर्यमुखी देवी बहुत छोटी उम्र में आर्यन थिएटर में बाल कलाकार के रूप में शामिल हुई थीं। उन्होंने 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ में मणिपुरी सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किया था।

इसके बाद उन्होंने चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और कई अन्य देशों में प्रस्तुति दी।

मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने उनके निधन पर शोक जताया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, “मणिपुरी शास्त्रीय नृत्य की एक महान हस्ती पद्म श्री थियाम सूर्यमुखी देवी के निधन से बहुत दुख हुआ। उनके निधन से हमने मणिपुर के सांस्कृतिक परिदृश्य का एक अमूल्य रत्न खो दिया। उनकी सुंदर कलात्मकता और हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के प्रति उनका समर्पण हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार, प्रशंसकों और सांस्कृतिक बिरादरी के प्रति हार्दिक संवेदना। उनकी आत्मा को शांति मिले।”

थियाम सूर्यमुखी देवी का जन्म 1940 में हुआ था। उनकी सांस्कृतिक यात्रा पद्मा मेइशनम अमुबी जैसे गुरुओं के संरक्षण में शुरू हुई थी।

बाद में वह जवाहरलाल नेहरू मणिपुर नृत्य अकादमी (जेएनएमडीए) में शामिल हो गईं और राष्ट्रीय के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर मणिपुरी नृत्य को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरीं।

पांच दशकों से भी लंबे करियर में सूर्यमुखी देवी ने रास लीला, लाई हरोबा जैसे शास्त्रीय रूपों और आदिवासी लोक परंपराओं के माध्यम से मणिपुरी नृत्य को समृद्ध किया।

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