July 10, 2025
Haryana

रोहतक विश्वविद्यालय में डॉ. अंबेडकर और महर्षि दयानंद पर पुस्तकों का विमोचन

Release of books on Dr. Ambedkar and Maharishi Dayanand at Rohtak University

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के विवेकानंद पुस्तकालय द्वारा आज एक पुस्तक विमोचन समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें कुलपति (वीसी) प्रोफेसर राजबीर सिंह ने “दलित एवं महिला उत्थान में डॉ. अंबेडकर का योगदान” और “महर्षि दयानंद सरस्वती” पुस्तकों का विमोचन किया।

कुलपति ने डॉ. भीमराव आंबेडकर और महर्षि दयानंद सरस्वती को समाज का सच्चा नायक बताया। उन्होंने कहा, “ये दोनों व्यक्तित्व न केवल अपने समय के, बल्कि आज के युवाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं।” उन्होंने कहा कि सामाजिक समानता, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के लिए डॉ. आंबेडकर द्वारा दिया गया योगदान आज भी प्रासंगिक है।

साथ ही, कुलपति ने कहा कि महर्षि दयानंद की शिक्षा संबंधी सोच और विचार नई पीढ़ी को नैतिक मूल्यों से जोड़ने में सहायक हैं।

प्रोफेसर राजबीर ने विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में एमडीयू प्रेस पब्लिकेशन्स के बैनर तले 50 पुस्तकों के प्रकाशन की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पुस्तक विमोचन समारोह को और भी व्यापक एवं प्रभावशाली रूप दिया जाएगा, ताकि विश्वविद्यालय के बौद्धिक वातावरण को नई दिशा और गति मिले।

कुलपति ने कहा कि एमडीयू में शैक्षणिक और बौद्धिक वातावरण को और सुदृढ़ किया जाएगा। इससे छात्र, शोधकर्ता और संकाय सदस्य एक समृद्ध और प्रेरक शैक्षणिक वातावरण में कार्य कर सकेंगे। शैक्षणिक मामलों के डीन, प्रो. हरीश कुमार ने कहा कि विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने और देश में समरसता लाने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती और डॉ. बी.आर. अंबेडकर के विचारों को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने दोनों लेखकों को बधाई देते हुए पुस्तक विमोचन समारोह के आयोजन के लिए विवेकानंद पुस्तकालय की सराहना की।

कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत भाषण देते हुए पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. सतीश मलिक ने युवाओं से पढ़ने की आदत विकसित करने का आह्वान किया। उप पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. सीमा ने कार्यक्रम का संचालन किया और आभार व्यक्त किया।

लेखक विक्रम सिंह डुमोलिया ने अपनी पुस्तक का सार प्रस्तुत करते हुए दलितों और महिलाओं के उत्थान में डॉ. अंबेडकर के योगदान के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। साहित्यकार और एमडीयू की सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. अंजना गर्ग ने डॉ. मधुकांत की पुस्तक का सार प्रस्तुत करते हुए इसे साहित्य के माध्यम से बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया।

इस अवसर पर साहित्यकार डॉ. श्याम कौशल, डॉ. रमाकांत, प्रो. राजकुमार, प्रो. देसराज, प्रो. जितेंद्र प्रसाद, डॉ. श्री भगवान, डॉ. जर्नादन शर्मा, डॉ. प्रताप राठी, सेल्फी विद डॉटर अभियान के संस्थापक सुनील जागलान, चंचल नांदल सहित विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी, प्रोफेसर, लेखक, शोधकर्ता और विद्यार्थी उपस्थित थे।

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