July 12, 2025
Entertainment

हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर बोले अजय देवगन- ‘आता माझी सटकली’

Ajay Devgan speaks on Hindi-Marathi language dispute – ‘Aata Majhi Satkali’

हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर अभिनेता अजय देवगन ने ‘सिंघम’ अंदाज में जवाब दिया। अपनी अपकमिंग फिल्म ‘सन ऑफ सरदार 2’ के ट्रेलर लॉन्च इवेंट में मीडिया से बातचीत के दौरान अजय ने ज्यादा कुछ न कहते हुए ‘सिंघम’ के मशहूर डायलॉग ‘आता माझी सटकली’ के साथ जवाब दिया।

कई हस्तियों ने भाषाई विविधता का समर्थन किया है। गायक उदित नारायण ने कहा, “महाराष्ट्र मेरी कर्मभूमि है, इसलिए मराठी भाषा महत्वपूर्ण है। लेकिन भारत में हर भाषा को बराबर सम्मान मिलना चाहिए।”

अनूप जलोटा ने भी यही भावना दोहराई और कहा, “हर भाषा महत्वपूर्ण है। मैं मराठी में भी गाता हूं। हिंदी हमारी मातृभाषा है, लेकिन दूसरी भाषाएं सीखना सबके लिए अच्छा है।”

उदित से पहले इस मामले में कंगना रनौत ने भी अपनी राय पेश की थी। आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने देश की एकता पर जोर देते हुए कहा था कि कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए सनसनी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

कंगना ने मराठी और हिमाचली लोगों की तुलना करते हुए कहा, “महाराष्ट्र के लोग, खासकर मराठी लोग, बहुत प्यारे और सीधे-साधे हैं, ठीक वैसे ही जैसे हमारे हिमाचली लोग हैं। कुछ लोग राजनीति में छा जाने के चक्कर में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए सनसनी फैलाते हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सब एक देश के हिस्से हैं।”

‘सीआईडी’ फेम अभिनेता हृषिकेश पांडे ने कहा, “मराठी महाराष्ट्र का गर्व है, जैसे गुजराती गुजरात में या बंगाली बंगाल में। स्थानीय भाषा का सम्मान करना अच्छा है। लेकिन, भारत में लोग काम के लिए अलग-अलग राज्यों से आते हैं। हर किसी के लिए नई भाषा तुरंत सीखना आसान नहीं होता।”

अभिनेता जैन दुर्रानी ने कहा, “भारत में कई भाषाएं और संस्कृतियां हैं। मेरा मानना है कि हम जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां की भाषा का सम्मान करना जरूरी है। यह सम्मान केवल दिखावे के लिए नहीं, बल्कि वहां की संस्कृति अपनाने और अपनी संस्कृति साझा करने के लिए होना चाहिए।”

बता दें कि महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी विवाद दिन पर दिन गर्माता जा रहा है। यह विवाद स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने को लेकर महाराष्ट्र सरकार के एक आदेश जारी करने के बाद शुरू हुआ। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश जारी किया कि पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक हिंदी पढ़ना अनिवार्य होगा। इस आदेश के जारी होने पर विपक्ष भड़क गया और जमकर आलोचना की। इस बीच राज्य सरकार ने हिंदी को लेकर जारी सरकारी आदेश को वापस ले लिया।

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