July 26, 2025
Entertainment

असहनीय पीड़ा, आईसीयू में जिंदगी और मौत की लड़ाई….जब ‘कुली’ के सेट पर घायल हुए थे ‘सदी के महानायक’

Unbearable pain, a fight for life and death in the ICU… when the ‘superstar of the century’ was injured on the set of ‘Coolie’

बॉलीवुड के ‘सदी के महानायक’ अमिताभ बच्चन के जीवन का वह दिन, 26 जुलाई 1982, भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज है। यह वह दिन था जब फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने न केवल अमिताभ को, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे ने उनकी जिंदगी को मौत के मुहाने तक पहुंचा दिया था, लेकिन उनकी जिजीविषा और डॉक्टर्स की मेहनत ने उन्हें नया जीवन दिया।

‘कुली’ फिल्म की शूटिंग के दौरान एक एक्शन सीन में को-स्टार पुनीत इस्सर ने अमिताभ को जोरदार घूंसा मारा था। यह सीन इतना खतरनाक साबित हुआ कि अमिताभ टेबल पर जा गिरे और उनकी आंतों में गंभीर चोट लग गई। शुरू में दर्द को सामान्य समझा गया, लेकिन तीसरे दिन जब दर्द असहनीय हो गया, तब एक्स-रे में पता चला कि उनके डायफ्राम के नीचे गैस लीक हो रही थी। यह एक खतरनाक स्थिति थी, क्योंकि उनकी आंतें फट चुकी थीं और इंफेक्शन तेजी से फैल रहा था।

रिपोर्ट के अनुसार, चौथे दिन जब अमिताभ का दर्द बढ़ गया तब मशहूर सर्जन डॉ. एचएस भाटिया ने उनका केस देखा और तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी। उस समय अमिताभ को 102 डिग्री बुखार था और उनकी हृदय गति 72 से बढ़कर 180 तक पहुंच गई थी। ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर्स ने पाया कि उनकी आंतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त थीं। ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति कुछ घंटों से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता था, लेकिन अमिताभ चार दिन तक इस दर्द से जूझते रहे। ऑपरेशन के बाद उनकी हालत और बिगड़ गई और वह कोमा में चले गए। इस दौरान पूरा देश उनकी सलामती के लिए दुआएं मांग रहा था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उनसे मिलने ब्रीच कैंडी अस्पताल पहुंची थीं। अमिताभ की हालत इतनी नाजुक थी कि उनके बचने की एकदम उम्मीद नहीं थी। लेकिन डॉ. वाडिया ने हार नहीं मानी। उन्होंने आखिरी कोशिश के तौर पर अमिताभ को लगभग 40 एम्प्यूल्स कॉर्टिसोन और एड्रेनालाईन के इंजेक्शन दिए। यह एक चमत्कार ही था कि इसके बाद अमिताभ की सांसें लौट आईं।

घटना के सालों बाद अपने ब्लॉग में अमिताभ ने इस हादसे का जिक्र करते हुए लिखा, “मैं कुछ मिनटों के लिए चिकित्सकीय रूप से मृत (क्लीनिकल डेड ) हो गया था। लेकिन डॉ. वाडिया की हिम्मत और मेहनत ने मुझे वापस जिंदगी दी। मैं लगभग धुंध और कोमा जैसी स्थिति में चला गया था। ब्रीच कैंडी में आने के पांच दिनों के भीतर, मेरी एक और सर्जरी हुई और मैं उससे बहुत लंबे समय तक बाहर नहीं आ सका और मैं कुछ मिनटों के लिए क्लीनिकल डेड हो गया था। फिर डॉ. वाडिया, जो मेरी देखभाल कर रहे थे, उन्होंने बस इतना कहा, “मैं एक आखिरी रिस्क लेने जा रहा हूं” और उन्होंने एक के बाद एक लगभग 40 एम्प्यूल्स कॉर्टिसोन/एड्रेनालाईन इंजेक्शन मुझे देने शुरू कर दिए, इस उम्मीद के साथ कि कुछ होगा और फिर मैं पुनर्जीवित हो गया।”

दो महीने तक अस्पताल में रहने और दो बड़े ऑपरेशनों के बाद अमिताभ ने धीरे-धीरे रिकवरी की। इस हादसे ने न केवल उनके करियर, बल्कि उनकी जिंदगी को भी बदल दिया।

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